विद्यालय टैगिंग विवाद पर छात्रों का सड़क जाम
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मुकुंदपुर सिंघाड़ा को पीएम श्री उच्च विद्यालय सिंघाड़ा में टैग किए जाने का विरोध
घटना का विवरण
वैशाली जिले के महुआ अनुमंडल क्षेत्र में शिक्षा विभाग के निर्णय के खिलाफ छात्रों का गुस्सा उबाल पर आ गया।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मुकुंदपुर सिंघाड़ा को हाल ही में पीएम श्री उच्च विद्यालय सिंघाड़ा में टैग कर दिया गया है।
इस निर्णय से नाराज छात्र-छात्राओं ने सोमवार को महुआ–ताजपुर मुख्य सड़क को कुशहर के निकट जाम कर दिया।
सड़क पर बैठकर छात्रों ने जमकर नारेबाजी की और मांग की कि उनके विद्यालय को वापस उसी स्थिति में बहाल किया जाए।
छात्रों का विरोध क्यों?
छात्र-छात्राओं का कहना है कि:
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टैगिंग के बाद उन्हें दूरस्थ विद्यालय तक जाना पड़ेगा।
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परिवहन सुविधा का अभाव होने से पढ़ाई प्रभावित होगी।
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गरीब और ग्रामीण परिवारों के बच्चों को सबसे ज्यादा कठिनाई होगी।
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अपने ही गांव के विद्यालय में पढ़ाई का अवसर छिन जाना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग ने बिना स्थानीय स्तर पर विचार-विमर्श और अभिभावकों से राय लिए यह निर्णय लिया है।
सड़क जाम का असर
छात्रों के आंदोलन से महुआ–ताजपुर मुख्य सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
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सुबह से ही सड़क जाम होने के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
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कई स्कूली बच्चे, नौकरीपेशा लोग और व्यापारी सड़क पर घंटों फंसे रहे।
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एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित होती रहीं।
लोगों ने प्रशासन से अपील की कि जल्द से जल्द इस विवाद का समाधान निकाला जाए ताकि आम जनता को राहत मिले।
छात्रों की मांग
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने शिक्षा विभाग से साफ-साफ कहा कि:
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विद्यालय को वापस उसी स्थिति में बहाल किया जाए।
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टैगिंग का निर्णय रद्द किया जाए।
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भविष्य में किसी विद्यालय को टैग करने से पहले स्थानीय लोगों और अभिभावकों की राय ली जाए।
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शिक्षा विभाग छात्रों की सुविधा और शिक्षा के हित को प्राथमिकता दे।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका
सड़क जाम की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रों को समझाने का प्रयास किया।
हालांकि शुरुआती दौर में छात्र मानने को तैयार नहीं हुए और अपनी मांगों पर अड़े रहे।
पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को जिला शिक्षा पदाधिकारी तक पहुंचाया जाएगा।
कुछ घंटों की बातचीत के बाद धीरे-धीरे जाम हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
शिक्षा विभाग का निर्णय क्यों विवादित?
शिक्षा विभाग ने हाल ही में कई विद्यालयों को बड़े विद्यालयों में टैग करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य है –
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संसाधनों का बेहतर उपयोग।
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शिक्षकों की कमी को दूर करना।
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बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना।
लेकिन इस प्रक्रिया में स्थानीय परिस्थितियों और दूरी जैसे पहलुओं की अनदेखी हो जाती है।
मुकुंदपुर सिंघाड़ा विद्यालय के मामले में भी यही विवाद सामने आया है।
अभिभावकों की चिंता
विद्यालय टैगिंग से सबसे ज्यादा चिंता अभिभावकों के बीच है।
गांव के अभिभावकों का कहना है कि –
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छोटे-छोटे बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी।
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सड़क पर यातायात का दबाव और सुरक्षा की कमी से बच्चों की सुरक्षा खतरे में रहेगी।
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गरीब परिवार परिवहन खर्च नहीं उठा पाएंगे, जिससे कई बच्चे पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि विद्यालयों का टैगिंग तभी उचित है जब छात्रों की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
यदि टैगिंग से छात्रों का नामांकन कम होता है या पढ़ाई प्रभावित होती है, तो यह शिक्षा नीति के मूल उद्देश्य के खिलाफ है।
उनका सुझाव है कि सरकार को ऐसे फैसले लेने से पहले:
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ग्रामीणों से संवाद करना चाहिए।
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जमीनी स्तर पर सर्वे कराना चाहिए।
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परिवहन और आधारभूत सुविधाओं को मजबूत करना चाहिए।
आंदोलन का व्यापक असर
यह विरोध केवल एक विद्यालय तक सीमित नहीं है।
जिले के अन्य विद्यालयों में भी इसी तरह की नाराजगी पनप रही है।
छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि अगर निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और तेज होगा।
इससे शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा हो सकता है।
भविष्य की राह
अब यह देखना होगा कि शिक्षा विभाग छात्रों की मांग पर क्या कदम उठाता है।
यदि प्रशासन जल्द कोई ठोस समाधान नहीं करता तो आंदोलन और उग्र हो सकता है।
छात्रों के आक्रोश से साफ है कि ग्रामीण समाज शिक्षा के मुद्दे पर अब चुप बैठने वाला नहीं है।
लोग चाहते हैं कि शिक्षा बच्चों की पहुंच में आसान और सुलभ हो, न कि और जटिल।
निष्कर्ष
मुकुंदपुर सिंघाड़ा विद्यालय की टैगिंग का विवाद एक बड़ा सवाल खड़ा करता है –
क्या शिक्षा विभाग के फैसले जमीनी हकीकत से मेल खाते हैं?
क्या ग्रामीण छात्रों की समस्याओं और अभिभावकों की राय को नजरअंदाज कर देना उचित है?
छात्रों का सड़क पर उतरना यह संकेत है कि अब शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता और विरोध दोनों बढ़ रहे हैं।
यदि इस विवाद का जल्द समाधान नहीं हुआ तो यह आंदोलन शिक्षा विभाग की नीतियों पर गहरा असर डाल सकता है।
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✍️ WRITEN BY – RUPESH KUMAR SINGH SG NEWS OFFICAL।

