अब गांव के बच्चे भी बेहतर स्कूल और पक्की सड़क के हक़दार हैं” – ई० रबिंद्र सिंह

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जन आशीर्वाद यात्रा को लावापुर नारायण पंचायत में मिला ज़बरदस्त जनसमर्थन

अब गांव के बच्चे भी बेहतर स्कूल और पक्की सड़क के हक़दार हैं” – ई० रबिंद्र सिंह

✍️ रिपोर्ट – रूपेश कुमार सिंह
📍 स्थान – महनार, वैशाली






🔷 : बदलाव की आहट और जागरूक जनता

2025 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, बिहार की सियासी ज़मीन तेज़ी से गर्म होती जा रही है। महनार विधानसभा की बात करें तो यहाँ का जनमानस अब नेताओं से सिर्फ वादे नहीं, ज़मीनी बदलाव चाहता है। इसी संदर्भ में ई० रबिंद्र सिंह की जन आशीर्वाद यात्रा ने एक नया राजनीतिक संदेश दिया है — "अब वक़्त है बदलाव का, अब जनता खुद सवाल करेगी।"

25 जुलाई को महनार के लावापुर नारायण पंचायत में जब जन आशीर्वाद यात्रा पहुँची, तो गाँवों की गलियों से लेकर चौपालों तक, हर जगह उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। गाँव के बुजुर्ग, महिलाएं, नौजवान और किसान – सभी ने खुलकर अपने मुद्दे बताए और इस यात्रा को समर्थन दिया।





🔶 : जनता का भरोसा, नेता का संकल्प

जैसे ही ई० रबिंद्र सिंह का काफ़िला पंचायत में पहुँचा, लोगों ने फूल-मालाओं से ज़ोरदार स्वागत किया। पंचायत के रामपुर, मल्लाह टोली, नारायणपुर, चकदाउद, लावापुर आदि गाँवों में यात्रा के दौरान उमड़े जनसैलाब ने यह संकेत दे दिया कि लोग बदलाव के मूड में हैं।

स्थानीय महिलाओं ने पारंपरिक गीतों से यात्रा का स्वागत किया, तो वहीं युवाओं ने "रबिंद्र भैया ज़िंदाबाद" के नारे लगाए। ये दृश्य केवल चुनावी नज़ारा नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का प्रतीक बन चुका है।


🔷 ई० रबिंद्र सिंह का भाषण: विकास का वादा, पुरानी सियासत पर हमला

यात्रा के दौरान ई० रबिंद्र सिंह ने कहा:

“लावापुर नारायण पंचायत की सड़कें वर्षों से टूटी हुई हैं, स्कूलों की दीवारें गिरने को हैं और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ नाम मात्र हैं। न जाने कितनी सरकारें आईं-गईं, लेकिन इस पंचायत का मूलभूत ढांचा जस का तस बना रहा। क्या गाँव के बच्चों को अच्छी शिक्षा का हक़ नहीं? क्या महिलाओं को अस्पताल तक पहुँचने के लिए पक्की सड़क नहीं चाहिए?”

उन्होंने आगे कहा:

“मैं राजनीति को सेवा मानता हूँ, सौदेबाज़ी नहीं। यह जन आशीर्वाद यात्रा केवल चुनावी रस्म नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ़ संघर्ष है जिन्होंने महनार को ठगने का काम किया है। अब जनता जाग चुकी है और वो हिसाब माँग रही है।”


🔶 शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य पर फोकस

रबिंद्र सिंह ने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि अगर उन्हें जनता का समर्थन मिला, तो वे तीन प्रमुख मुद्दों को प्राथमिकता देंगे:

  1. पक्की सड़कें – पंचायत के सभी गाँवों को मुख्य सड़क से जोड़ा जाएगा। बाढ़ और बारिश में डूबने वाली गलियों को दुरुस्त किया जाएगा।

  2. बेहतर स्कूल – हर गाँव में एक मॉडल स्कूल की स्थापना की जाएगी, जहाँ प्रशिक्षित शिक्षक और स्मार्ट क्लास की व्यवस्था होगी।

  3. प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा – पंचायत में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित कर गर्भवती महिलाओं, वृद्धों और बच्चों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी।


🔷  पंचायत की आवाज़

यात्रा के दौरान ई० रबिंद्र सिंह ने ग्रामीणों से आमने-सामने संवाद भी किया। लोगों ने उन्हें बताया कि:

  • कई गाँवों में आज तक बिजली का स्थायी कनेक्शन नहीं मिला है।

  • छात्रों को पढ़ने के लिए पटना-मुज़फ्फरपुर भेजना पड़ता है।

  • जलनिकासी और नाला निर्माण अधूरा है, जिससे बाढ़ में गाँव डूब जाते हैं।

इन सभी मुद्दों पर रबिंद्र सिंह ने लिखित रिपोर्ट तैयार कर स्थानीय प्रशासन को देने का आश्वासन दिया।


🔶  टीम वर्क और नेतृत्व की झलक

इस जन आशीर्वाद यात्रा की एक विशेषता यह भी रही कि इसमें पार्टी लाइन से परे लोग शामिल हुए। स्थानीय कार्यकर्ताओं से लेकर युवा और महिला संगठनों ने पूरी ऊर्जा से यात्रा में भाग लिया।

प्रमुख लोगों में शामिल रहे:
अश्विनी ठाकुर, बांकेलाल निषाद, शिवचंद्र सहनी, लाला सहनी, बैजू सहनी, नागेश्वर पंडित, शिवपूजन साह, रामशंकर झा, रघु यादव, दिग्विजय यादव, कृष्णा यादव आदि।

इन लोगों ने कहा – “हमने आज तक नेताओं को आते-जाते देखा है, लेकिन रबिंद्र जी जैसे लोगों को पहली बार देखा जो गाँव की गलियों में उतरकर लोगों की पीड़ा सुनते हैं।”


🔷 क्या लावापुर से उठेगा परिवर्तन का बिगुल?

महनार विधानसभा में 2020 में राजद का दबदबा रहा, लेकिन जनता की नाराज़गी अब खुलकर सामने आ रही है। भाजपा-जदयू के परंपरागत मतदाताओं के साथ ही अब नई सोच वाले युवा वोटर भी ई० रबिंद्र सिंह को एक विकल्प के तौर पर देख रहे हैं।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर रबिंद्र सिंह अपनी इस यात्रा को पंचायत दर पंचायत इसी तरह जनसंपर्क में बदलते हैं, तो महनार में सियासी समीकरण बदल सकते हैं।


🔶 : यात्रा नहीं आंदोलन बन रही है यह पहल

लावापुर नारायण पंचायत में जन आशीर्वाद यात्रा केवल एक राजनीतिक शो नहीं रही, बल्कि यह उन वर्षों की उपेक्षा, पीड़ा और हक़ की पुकार का प्रतीक बन चुकी है। जब एक नेता गाँव-गाँव जाकर यह कहता है कि "अब गांव के बच्चे भी बेहतर स्कूल और पक्की सड़क के हक़दार हैं", तो वह केवल भाषण नहीं, संकल्प दे रहा होता है।

महनार की धरती अब बदलाव के संकेत दे रही है – सवाल सिर्फ इतना है कि जनता इस आशीर्वाद को कितनी ताकत देती है।


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