जन्दाहा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रभात शाखा द्वारा गुरु दक्षिणा कार्यक्रम आयोजित
"गुरु पूर्णिमा पर समर्पण भाव से जुड़ा संघ परिवार, समाज सेवा का संकल्प लिया"
✍️ रिपोर्ट: रूपेश कुमार सिंह
📍 स्थान: जन्दाहा, वैशाली
🔷 : राष्ट्र निर्माण की आधारशिला – संघ का गुरु दक्षिणा पर्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारतवर्ष में एक ऐसी संगठनात्मक शक्ति है जो न केवल राष्ट्रभक्ति, बल्कि समाज सेवा, सांस्कृतिक मूल्यों और चरित्र निर्माण को केंद्र में रखकर निरंतर कार्य कर रही है। संघ का "गुरु दक्षिणा" कार्यक्रम इन मूल्यों का जीवंत उदाहरण है, जो गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शुरू होकर पूरे महीने भर तक संघ की सभी शाखाओं में आयोजित होता है।
इसी क्रम में जन्दाहा के प्रभात शाखा में दिनांक 25 जुलाई को गुरु पूजन सह गुरु दक्षिणा कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने भाग लिया और संघ के प्रति समर्पण का भाव प्रदर्शित किया।
🔶 गुरु दक्षिणा का महत्व: स्वयंसेवकों का नैतिक और आत्मिक समर्पण
संघ में “गुरु” का अर्थ किसी एक व्यक्ति से नहीं, बल्कि भगवा ध्वज से है, जो परंपरा, त्याग और राष्ट्र के गौरव का प्रतीक माना जाता है। स्वयंसेवक भगवा ध्वज को अपना गुरु मानते हुए उसी के सामने गुरु पूजन करते हैं और अपनी श्रद्धा स्वरूप गुरु दक्षिणा अर्पित करते हैं।
यह कार्यक्रम सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि आत्मबल और सेवा भावना को संकल्प रूप देने का माध्यम है। यही वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से संघ स्वयंसेवकों में अनुशासन, संयम और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना विकसित करता है।
🔷 जन्दाहा शाखा में कार्यक्रम की शुरुआत: सादगी और गरिमा का संगम
प्रभात शाखा के इस आयोजन की शुरुआत प्रातः 5:30 बजे शाखा की नियमित दिनचर्या के अनुसार की गई। संघ गीत, सूर्य नमस्कार, व्यायाम और योग के साथ शाखा संचालित हुई। इसके पश्चात विशेष रूप से गुरु पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ, जिसमें सभी स्वयंसेवकों ने पंक्तिबद्ध होकर भगवा ध्वज के समक्ष पुष्प और दक्षिणा अर्पित की।
कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने “नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” प्रार्थना और गुरु स्तुति का गायन किया। इस माहौल में आध्यात्मिक ऊर्जा, अनुशासन और आंतरिक भाव की गहराई स्पष्ट दिखाई दी।
🔶 बीजेपी नेता बी.के. सिंह की मौजूदगी: राजनीतिक से अधिक वैचारिक संवाद
इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री बी.के. सिंह उपस्थित रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा:
“राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल शाखा नहीं, यह एक विचार यात्रा है – एक ऐसा संगठन जिसने भारत के प्रत्येक कोने में राष्ट्रभक्ति की लौ जलायी है। गुरु दक्षिणा का यह आयोजन हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है और आने वाली पीढ़ियों को अनुशासन, त्याग और सेवा का पाठ पढ़ाता है।”
उन्होंने स्वयंसेवकों को राष्ट्रहित में और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया, खासकर सामाजिक समरसता, पर्यावरण सुरक्षा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में।
🔷 कार्यक्रम में शामिल प्रमुख स्वयंसेवक एवं उनके विचार
कार्यक्रम में प्रमुख संघ कार्यकर्ता, शिक्षक, व्यापारी, किसान, और युवा वर्ग के स्वयंसेवक उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि संघ के इस आयोजन ने उन्हें आत्मनिरीक्षण और सेवा पथ पर चलने की प्रेरणा दी है।
श्री राजेश कुमार, जो पिछले दस वर्षों से स्वयंसेवक हैं, ने कहा:
“गुरु दक्षिणा सिर्फ दक्षिणा देने की परंपरा नहीं है, यह आत्मसमर्पण की अभिव्यक्ति है। हमें गर्व है कि हम उस संगठन से जुड़े हैं जहाँ हर कार्य समाज के हित में होता है।”
🔶 सांस्कृतिक और वैचारिक समरसता का संदेश
गुरु दक्षिणा कार्यक्रम के दौरान सभी वर्गों और पृष्ठभूमि के लोग एक ही ध्वज के नीचे एकत्र होकर अपने कर्तव्य का बोध करते हैं। यह आयोजन जाति, भाषा, धर्म के विभाजन से ऊपर उठकर “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की भावना को सशक्त करता है।
कार्यक्रम के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार और राष्ट्र गीतों के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की प्रस्तुति ने वातावरण को गम्भीर और प्रेरणादायक बना दिया।
🔷 संघ की आगामी योजनाएं: सेवा और समाज निर्माण पर केंद्रित
कार्यक्रम के समापन पर शाखा संचालकों ने आगामी महीनों के लिए योजनाओं की भी जानकारी दी:
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स्वच्छता अभियान: जन्दाहा क्षेत्र के स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर सफाई अभियान चलाया जाएगा।
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वृक्षारोपण कार्यक्रम: अगस्त महीने में 500 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
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बाल शिक्षण वर्ग: ग्रामीण बच्चों के लिए संस्कार शाला व निःशुल्क कोचिंग की शुरुआत।
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सेवा सप्ताह: समाज के वंचित वर्गों के लिए वस्त्र व खाद्य सामग्री वितरण की योजना।
🔶 निष्कर्ष: गुरु दक्षिणा बना आत्मबोध और राष्ट्रभक्ति का पर्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह गुरु दक्षिणा कार्यक्रम न केवल संगठन के प्रति समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह युवाओं के व्यक्तित्व विकास और राष्ट्रीय जागरूकता का आधार भी बनता है।
जन्दाहा की प्रभात शाखा में हुआ यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल है कि किस प्रकार अनुशासन, सेवा और समर्पण से समाज बदला जा सकता है।
संघ के इस विचार और व्यवस्था को केवल राजनीतिक चश्मे से नहीं, एक राष्ट्रहितकारी सामाजिक आंदोलन के रूप में समझना होगा, जो चुपचाप गाँव-गाँव, गली-गली में संस्कार और सशक्त भारत का बीज बो रहा है।
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