गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि से वैशाली के बिदुपुर-राघोपुर पीपा पुल बंद

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 गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि से वैशाली के बिदुपुर-राघोपुर पीपा पुल बंद

 नाव सेवा ही बना सहारा, ग्रामीणों ने जताई चिंता








बिहार में मानसून के आगमन के साथ ही नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। इसका सीधा प्रभाव राज्य के विभिन्न जिलों में आवागमन और जनजीवन पर देखने को मिल रहा है। वैशाली जिले के बिदुपुर और राघोपुर को जोड़ने वाला पीपा पुल, जो लंबे समय से दोनों क्षेत्रों के बीच संपर्क का प्रमुख माध्यम रहा है, गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है

यह निर्णय बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड, मुजफ्फरपुर के वरीय परियोजना अभियंता के निर्देश पर लिया गया है। पुल के कुछ फ्लोटिंग हिस्सों को सुरक्षा की दृष्टि से हटा दिया गया है, जिससे अब आम लोगों को वैकल्पिक मार्ग से आवागमन करना पड़ रहा है।






पुल बंद होने की वजह और प्रशासन की तैयारी

गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे पुल की स्थिरता और यात्रियों की सुरक्षा को लेकर खतरा उत्पन्न हो गया था। फ्लोटिंग पीपा पुल पानी के अधिक दबाव में टूट सकता है या बह सकता है, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पुल निर्माण निगम द्वारा समय रहते यह निर्णय लिया गया।

प्रशासन ने पहले ही सूचना जारी कर दी थी, लेकिन अचानक हुई बारिश और जलस्तर में तेज वृद्धि के कारण आम लोगों को वैकल्पिक व्यवस्था अपनानी पड़ी।






फिलहाल नाव ही एकमात्र विकल्प

पुल बंद हो जाने के बाद जीमदारी घाट से नाव के माध्यम से यात्रियों को गंगा नदी पार करवाई जा रही है। यह नाव सेवा फिलहाल दोनों छोर के लोगों के लिए जीवनरेखा बनी हुई है। किसान, स्कूली छात्र, ड्यूटी पर जाने वाले कर्मी, व्यापारी और अन्य स्थानीय लोग नाव की सहायता से अपने कार्यस्थल या गंतव्य तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।


बाइक सवार और दैनिक यात्रियों की परेशानी

पुल बंद होने का सबसे अधिक प्रभाव बाइक सवारों और दैनिक यात्रियों पर पड़ा है। पहले जहां वे 10-15 मिनट में नदी पार कर लेते थे, अब नाव के इंतजार और यात्रा में एक से डेढ़ घंटे तक का समय लग रहा है। इसके अलावा, बाइक और अन्य हल्के वाहनों को नाव पर ले जाना जोखिम भरा और कठिन कार्य बन गया है।

एक स्थानीय युवक ने बताया:

“हमें रोज़ काम पर पटना जाना होता है, पहले हम बाइक से पुल पार कर आराम से समय पर पहुंच जाते थे, अब नाव के भरोसे रहना पड़ता है, जो न समय की गारंटी देता है और न सुरक्षा की।”


ग्रामीणों की चिंताएं और मांग

स्थानीय ग्रामीणों और किसानों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि नाव से यात्रा करना समय लेने वाला और असुविधाजनक है। साथ ही, बारिश और हवा के मौसम में यह और भी जोखिमभरा हो जाता है।

कई लोगों ने प्रशासन से वैकल्पिक सुरक्षित व्यवस्था की मांग की है। उनका कहना है कि:

  • वृद्ध, महिलाएं और छोटे बच्चे नाव यात्रा में असहज महसूस करते हैं।

  • फसल बेचने वाले किसानों को समय पर मंडी पहुंचने में देरी हो रही है।

  • बीमार और बुजुर्ग लोगों को अस्पताल ले जाने में दिक्कतें आ रही हैं।


प्रशासन की प्रतिक्रिया

बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक जलस्तर सामान्य नहीं होता, पुल का संचालन संभव नहीं है। उन्होंने कहा:

“यह निर्णय जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हमने पहले ही नोटिस जारी कर जानकारी दे दी थी। फिलहाल नाव सेवा ही एकमात्र सुरक्षित विकल्प है।”

उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जैसे ही जलस्तर कम होगा, फ्लोटिंग भागों को फिर से स्थापित कर पुल को सामान्य परिचालन में लाया जाएगा।


स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि इस समस्या पर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और उपेक्षा चिंता का विषय है। कोई ठोस वैकल्पिक योजना सामने नहीं आई है। कई ग्रामीणों ने शिकायत की है कि हर साल इस समय यही स्थिति बनती है, लेकिन आज तक स्थायी पुल का कोई निर्माण नहीं हुआ।

एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा:

“हम वर्षों से इस स्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन नेताओं ने केवल वादे किए, कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”


स्थायी समाधान की आवश्यकता

इस संकट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि स्थायी पुल का निर्माण इस क्षेत्र के लिए कितना आवश्यक है। हर वर्ष मानसून में पीपा पुल को बंद करना पड़ता है, जिससे लाखों लोगों का जीवन प्रभावित होता है। यदि एक पक्के पुल का निर्माण किया जाए तो न केवल लोगों की यात्रा सुगम होगी, बल्कि आपात स्थिति में भी राहत कार्य प्रभावी ढंग से किए जा सकेंगे।


अब तक दुर्घटना नहीं, सतर्कता बनी रहे

सकारात्मक पक्ष यह है कि अब तक कोई बड़ी दुर्घटना सामने नहीं आई है। प्रशासन और स्थानीय नाविकों की सतर्कता से स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन लंबी अवधि तक इस वैकल्पिक व्यवस्था पर निर्भर रहना सुरक्षित नहीं है।


गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि से वैशाली जिले के बिदुपुर-राघोपुर पीपा पुल का बंद होना क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए नाव सेवा शुरू की है, लेकिन यह समाधान स्थायी नहीं हो सकता।

इस संकट ने एक बार फिर यह रेखांकित किया है कि समय की मांग एक स्थायी, पक्का पुल है, जो मानसून की मार से अछूता रहे और हर मौसम में लोगों की सेवा कर सके।

स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दे और जल्द से जल्द स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए।


Writen by RUPESH KUMAR SINGH DIRECTOR SGNEWS OFFICIAL 



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