जमीनी विवाद में खूनी खेल
वैशाली से बड़ी खबर: ज़मीन विवाद में बुज़ुर्ग की नृशंस हत्या, गांव में दहशत का माहौल
हाजीपुर (वैशाली):
वैशाली जिले से एक बार फिर जमीनी विवाद को लेकर दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। राजापाकर थाना क्षेत्र के कसारा गांव में ज़मीन विवाद ने खूनी रूप ले लिया, जहां 67 वर्षीय बुज़ुर्ग की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस घटना से पूरे गांव में सनसनी फैल गई है, वहीं ग्रामीणों में भय और आक्रोश का माहौल व्याप्त है।
दूध लेने निकले बुज़ुर्ग पर जानलेवा हमला
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतक की पहचान कसारा गांव निवासी लोटन चौधरी (67 वर्ष) के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि लोटन चौधरी रोज़ की तरह घर से दूध लेने के लिए निकले थे। इसी दौरान पहले से घात लगाए बैठे हमलावरों ने उन पर अचानक हमला बोल दिया।
हमलावरों ने हँसुआ, तलवार और लाठी से लोटन चौधरी पर ताबड़तोड़ वार किए। अचानक हुए इस हमले से वह वहीं गिर पड़े और गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना इतनी निर्मम थी कि आसपास के लोग कुछ देर के लिए सन्न रह गए।
बीच-बचाव करने आए ग्रामीण पर भी हमला
घटना के दौरान जब शोर-शराबा सुनकर एक ग्रामीण बीच-बचाव के लिए आगे आया, तो हमलावरों ने उसे भी नहीं बख्शा। बीच-बचाव करने आए ग्रामीण पर भी लाठी और धारदार हथियार से हमला किया गया, जिससे उसके सिर में गंभीर चोट आई है। घायल ग्रामीण को भी इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है।
लंबे समय से चल रहा था ज़मीन विवाद
ग्रामीणों के अनुसार, लोटन चौधरी का कुछ लोगों से लंबे समय से ज़मीन को लेकर विवाद चल रहा था। आरोप है कि दबंग किस्म के लोग लगातार उन पर ज़मीन लिखने का दबाव बना रहे थे। कई बार पंचायत और समझौते की कोशिश भी हुई, लेकिन विवाद सुलझ नहीं सका।
परिजनों का कहना है कि लोटन चौधरी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं थे और अपनी ज़मीन बचाने के लिए डटे हुए थे। इसी रंजिश में उनकी नृशंस हत्या की गई।
गंभीर हालत में पीएमसीएच पटना रेफर, इलाज के दौरान मौत
घटना के बाद स्थानीय लोगों की मदद से लोटन चौधरी को आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए पीएमसीएच, पटना रेफर कर दिया। हालांकि पटना ले जाने के दौरान और इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई।
बुज़ुर्ग की मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और पूरे गांव में मातम का माहौल है।
गांव में दहशत और आक्रोश
इस हत्या के बाद कसारा गांव में भय और तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि खुलेआम दिनदहाड़े इस तरह की वारदात से लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। महिलाएं और बुज़ुर्ग घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, छापेमारी जारी
घटना की सूचना मिलते ही राजापाकर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। वहीं, घायल ग्रामीण का बयान दर्ज करने की प्रक्रिया भी चल रही है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में मामला ज़मीन विवाद से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। संदिग्धों की पहचान कर ली गई है और उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन से सुरक्षा की मांग
घटना के बाद पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि आरोपी खुलेआम धमकी दे रहे थे, जिसकी शिकायत पहले भी की गई थी, लेकिन समय रहते कार्रवाई नहीं होने से यह घटना घटित हुई।
ग्रामीणों ने मांग की है कि गांव में पुलिस गश्त बढ़ाई जाए और ज़मीन विवाद से जुड़े मामलों में त्वरित व निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
जमीनी विवाद: हिंसा की बड़ी वजह
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि बिहार सहित कई राज्यों में जमीनी विवाद हिंसा की बड़ी वजह बनते जा रहे हैं। छोटी-छोटी जमीनों को लेकर वर्षों से चले आ रहे विवाद कब खूनी संघर्ष में बदल जाएं, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर प्रशासनिक हस्तक्षेप, त्वरित न्याय और प्रभावी पुलिस कार्रवाई से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
कसारा गांव की यह घटना न केवल एक बुज़ुर्ग की नृशंस हत्या की कहानी है, बल्कि यह समाज के सामने एक गंभीर सवाल भी खड़ा करती है—क्या ज़मीन की लालच इंसानियत से बड़ी हो गई है?
अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन कितनी तेजी से आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाता है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाता है।
फिलहाल गांव में दहशत का साया है और हर किसी की निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।


