राघोपुर से फिर तेजस्वी यादव मैदान में — बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दाख़िल किया नामांकन,लालू प्रसाद, मिशा भारती और पार्टी नेताओं की मौजूदगी में हुआ ऐतिहासिक क्षण,

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राघोपुर से फिर तेजस्वी यादव मैदान में — बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दाख़िल किया नामांकन

लालू प्रसाद, मिशा भारती और पार्टी नेताओं की मौजूदगी में हुआ ऐतिहासिक क्षण





✳️ भूमिका: बिहार की राजनीति का केंद्र बना राघोपुर

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सियासी रण का बिगुल बज चुका है, और आज राघोपुर विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर से बिहार की राजनीति में केंद्र स्थान प्राप्त किया।
राजनीति के इस महायुद्ध में सबसे चर्चित चेहरा — नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव — ने अपने पारंपरिक सीट राघोपुर से नामांकन दाख़िल किया।
तेजस्वी यादव की यह उम्मीदवारी सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है — कि राजद (राष्ट्रीय जनता दल) अब भी अपने जनाधार और परंपरा पर अडिग है।





🔴 तेजस्वी यादव का नामांकन — एक ऐतिहासिक क्षण

बुधवार का दिन राघोपुर के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जब नामांकन के लिए पहुंचे, तो उनके साथ उनके पिता लालू प्रसाद यादव, बहन मिशा भारती, और पार्टी की वरिष्ठ नेता रवि देवी मौजूद थीं।
समर्थकों की भारी भीड़ और जोश से पूरा इलाका "तेजस्वी यादव जिंदाबाद" के नारों से गूंज उठा।

राघोपुर के हर नुक्कड़ पर कार्यकर्ता ढोल-नगाड़े बजाते, फूल-मालाओं से स्वागत करते और नारे लगाते नज़र आए।
तेजस्वी यादव ने नामांकन के दौरान जनता से अपील की कि इस बार बिहार में “विकास और रोजगार” की राजनीति को चुना जाए, न कि “भ्रम और जातिगत बंटवारे” की।





📜 लालू प्रसाद की मौजूदगी — भावनात्मक पल

इस नामांकन को खास बनाने वाला पहलू था लालू प्रसाद यादव की मौजूदगी।
लालू यादव की तबीयत लंबे समय से खराब रही है, लेकिन बेटे के नामांकन के समय उन्होंने अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना हाजिरी दर्ज कराई।
उनकी मौजूदगी से कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर पहुंच गया।
कई समर्थकों ने कहा — “लालू जी और तेजस्वी जी को साथ देखकर ऐसा लग रहा है जैसे पुराना जनसंघर्ष फिर जीवित हो गया हो।”


🌾 राघोपुर: राजद का किला या चुनौती का मैदान?

राघोपुर विधानसभा क्षेत्र को राजद का गढ़ माना जाता है।
लालू प्रसाद यादव ने अपनी राजनीति की शुरुआत यहीं से की थी और बाद में राबड़ी देवी ने भी यहां से जीत हासिल की थी।
तेजस्वी यादव ने 2015 और 2020 के चुनावों में इसी सीट से जीत दर्ज की थी।
हालांकि 2025 का चुनाव पहले से अलग माना जा रहा है।
बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन रहे हैं — NDA और महागठबंधन दोनों ही रणनीतिक रूप से राघोपुर पर अपनी नज़रें गड़ाए हुए हैं।

इस बार बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की ओर से भी एक मजबूत उम्मीदवार के उतरने की संभावना है।
लेकिन जनता के बीच तेजस्वी यादव की लोकप्रियता और राघोपुर से उनका भावनात्मक रिश्ता उन्हें इस बार भी बढ़त दिला सकता है।


🗣️ तेजस्वी यादव का संबोधन: “बिहार को रोजगार चाहिए, ठोस सरकार चाहिए”

नामांकन के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा —

“हमारी लड़ाई बिहार के युवाओं के भविष्य की है।
बिहार को अब बेरोजगारी, पलायन और गरीबी से मुक्ति दिलानी होगी।
जो लोग पिछले दस सालों से सिर्फ वादे कर रहे हैं, अब जनता उनसे जवाब मांगेगी।”

उन्होंने आगे कहा कि महागठबंधन का उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि समानता और विकास है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बार जनता उन्हें बहुमत देती है, तो “हर जिले में रोजगार सृजन केंद्र” स्थापित किए जाएंगे।


🧩 राजद की रणनीति: जनसम्पर्क से लेकर डिजिटल प्रचार तक

राजद इस चुनाव में पारंपरिक जनसम्पर्क के साथ-साथ डिजिटल प्रचार पर भी जोर दे रही है।
तेजस्वी यादव की टीम “बदलाव का बिहार” अभियान चला रही है, जिसमें युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से जोड़ा जा रहा है।
राघोपुर में पिछले एक महीने से पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर जनसम्पर्क कर रहे हैं।
उनका मुख्य फोकस है — महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था


💬 जनता का मूड: “तेजस्वी ही उम्मीद हैं”

राघोपुर की गलियों और चौपालों में अगर किसी का नाम सबसे ज्यादा गूंज रहा है, तो वो है — तेजस्वी यादव
कई स्थानीय लोगों का कहना है कि वे तेजस्वी को सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि “अपने घर का बेटा” मानते हैं।
राघोपुर के किसान रामेश्वर राय कहते हैं —

“लालू जी ने जो नींव रखी थी, तेजस्वी उसी को आगे बढ़ा रहे हैं।
हम चाहते हैं कि वे बिहार को फिर से खुशहाल बनाएं।”


🔍 राजनीतिक समीकरण और विपक्ष की रणनीति

NDA गठबंधन इस सीट पर अपना सारा जोर लगाने की तैयारी में है।
सूत्रों के अनुसार, जेडीयू एक पुराने स्थानीय नेता को उम्मीदवार बना सकती है, जबकि भाजपा प्रचार और प्रबंधन की जिम्मेदारी अपने हाथ में रखेगी।
दूसरी ओर, राजद राघोपुर को “प्रेस्टीज सीट” के रूप में देख रही है और किसी भी स्तर पर समझौता करने के मूड में नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि

“राघोपुर की लड़ाई सिर्फ एक सीट की नहीं, बल्कि बिहार की दिशा तय करने वाली लड़ाई है।”


🕊️ लालू परिवार की एकजुटता — सियासी संदेश

इस नामांकन के माध्यम से लालू परिवार ने एकजुटता का स्पष्ट संदेश दिया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि मिशा भारती और राबड़ी देवी आगामी प्रचार अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने जा रही हैं।
तेजस्वी यादव के भाई तेजप्रताप यादव भी अपने क्षेत्र से नामांकन दाख़िल करेंगे, जिससे “यादव परिवार का एकजुट चेहरा” जनता के सामने आएगा।


🔚

राघोपुर में तेजस्वी यादव का नामांकन सिर्फ एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि बदलाव के संदेश का प्रतीक है।
इस नामांकन ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि बिहार की राजनीति में लालू-तेजस्वी परिवार की पकड़ आज भी मजबूत है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या जनता 2025 में “तेजस्वी मॉडल” को मौका देती है या फिर “नीतीश-केंद्र गठबंधन” पर भरोसा जताती है।
राघोपुर की यह लड़ाई निश्चित रूप से पूरे बिहार की राजनीति की दिशा तय करेगी।


📸 मुख्य आकर्षण और जनसमर्थन के दृश्य

  • लालू यादव और तेजस्वी यादव एक साथ मंच पर

  • समर्थकों का जनसैलाब, पोस्टर-बैनर और “बदलाव का संकल्प” के नारे

  • महिलाओं और युवाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति

  • स्थानीय कलाकारों ने तेजस्वी के समर्थन में गाए गीत


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