बिहार में विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर वीरेंद्र नारायण के ठिकानों पर छापेमारी।

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 बिहार में विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई 

शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर वीरेंद्र नारायण के ठिकानों पर छापेमारी




बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ विजिलेंस की कार्रवाई लगातार जारी है। शुक्रवार को शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर (रीजनल) वीरेंद्र नारायण के पटना, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर स्थित आवासीय और कार्यालय परिसरों पर विजिलेंस की टीम ने एक साथ छापेमारी की। इस छापेमारी में 3 करोड़ 75 लाख रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति का खुलासा होने की संभावना जताई जा रही है।



कहां-कहां हुई छापेमारी

सूत्रों के अनुसार,

  • पटना में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में विजिलेंस की टीम छापेमारी के लिए पहुंची।

  • पूर्णिया और मुजफ्फरपुर स्थित उनके आवास और दफ्तरों में भी एक साथ छापेमारी की जा रही है।

  • टीम ने अब तक कई जरूरी दस्तावेज, संपत्ति से जुड़े कागजात और लेन-देन के पेपर कब्जे में लिए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में करोड़ों की बेनामी संपत्ति का पता चला है।





कौन हैं वीरेंद्र नारायण?

वीरेंद्र नारायण वर्तमान में तिरहुत प्रमंडल में रीजनल डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले वे कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं—

  • जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) समस्तीपुर

  • जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) वैशाली

  • अन्य जिलों में भी लंबे समय तक पदस्थापित रहे

उन पर आरोप है कि अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध रूप से करोड़ों की संपत्ति अर्जित की।


3 करोड़ 75 लाख से अधिक की संपत्ति का आरोप

जांच एजेंसियों के मुताबिक, वीरेंद्र नारायण के पास आय से अधिक लगभग 3.75 करोड़ रुपये की संपत्ति पाई गई है।

  • इसमें आलीशान मकान, प्लॉट, बैंक अकाउंट, निवेश और कैश शामिल हैं।

  • छापेमारी के दौरान अब तक जो भी संपत्तियां बरामद हुई हैं, उनका पूरा ब्योरा विजिलेंस जल्द सार्वजनिक करेगी।


कैसे चढ़े विजिलेंस के रडार पर?

शिक्षा विभाग में लंबे समय तक उच्च पदों पर रहने के कारण वीरेंद्र नारायण के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज हुई थीं।

  • उन पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में घोटाले,

  • ठेकों में अनियमितता,

  • और शिक्षकों की नियुक्ति में रिश्वतखोरी जैसे गंभीर आरोप भी लगे थे।

इन्हीं शिकायतों और लगातार मिल रहे इनपुट के आधार पर विजिलेंस ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।


विजिलेंस की सक्रियता बढ़ी

बिहार में पिछले कुछ महीनों से विजिलेंस ब्यूरो लगातार भ्रष्ट अफसरों पर शिकंजा कस रही है।

  • कई विभागों के बड़े अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज किए गए।

  • शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई और नगर निकाय विभाग भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे हैं।

ताजा कार्रवाई ने एक बार फिर साबित किया है कि अब धूसखोर अफसरों की खैर नहीं।


जनता की प्रतिक्रिया

इस कार्रवाई के बाद आम लोगों और शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मियों में हलचल मच गई है।

  • शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह शिक्षा व्यवस्था पर गहरा आघात है।

  • आम लोग इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम मान रहे हैं।


आगे की कार्रवाई

विजिलेंस की टीम ने फिलहाल बरामद दस्तावेज और संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है।

  • शुरुआती रिपोर्ट में करोड़ों की बेनामी संपत्ति की पुष्टि हुई है।

  • जल्द ही विजिलेंस विस्तृत प्रेस नोट जारी कर सकती है।

  • अगर आरोप पुख्ता होते हैं तो वीरेंद्र नारायण के खिलाफ गिरफ्तारी और अभियोजन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


भ्रष्टाचार पर सरकार का रुख

बिहार सरकार लगातार दावा करती रही है कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

  • हाल ही में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि कोई भी अधिकारी अगर गलत काम में लिप्त पाया गया तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।

  • शिक्षा विभाग, जो सीधे छात्रों और युवाओं के भविष्य से जुड़ा है, वहां भ्रष्टाचार पर कार्रवाई को सरकार बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश कर सकती है।


शिक्षा विभाग पर क्यों उठते हैं सवाल?

बिहार का शिक्षा विभाग लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहा है।

  • शिक्षक नियोजन, ट्रांसफर-पोस्टिंग और टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ियों की शिकायतें आती रही हैं।

  • कई अधिकारी और कर्मचारी रिश्वतखोरी के आरोप में पहले भी निलंबित या गिरफ्तार हो चुके हैं।

इस ताजा कार्रवाई ने एक बार फिर शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।



विजिलेंस की छापेमारी ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार करने वाले अफसर कितने भी बड़े पद पर क्यों न हों, कानून के शिकंजे से बचना मुश्किल है।
वीरेंद्र नारायण के खिलाफ छापेमारी से जुड़े नतीजे आने बाकी हैं, लेकिन इस कार्रवाई ने बिहार की राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।



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