जिला पदाधिकारी, वैशाली द्वारा मध्य विद्यालय कुतुबपुर का निरीक्षण
शिक्षकों को नवाचारी तकनीकों से ड्रॉपआउट बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का आह्वान
22 अगस्त 2025 को वैशाली जिला पदाधिकारी महोदया द्वारा मध्य विद्यालय, कुतुबपुर का औचक निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिसर में विशेष रूप से सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत शिक्षकों का ग़ैर आवासीय प्रशिक्षण चल रहा था। लगभग 82 शिक्षक इस प्रशिक्षण सत्र में उपस्थित थे। निरीक्षण के दौरान शिक्षकों ने जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट से जिला पदाधिकारी का स्वागत किया।
निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य
निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व से जोड़ना और उनकी समस्याओं, सुझावों एवं अनुभवों को प्रत्यक्ष रूप से जानना था। जिला पदाधिकारी ने विद्यालय परिसर की शैक्षिक व्यवस्था का जायजा लिया तथा प्रशिक्षण की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर विशेष ध्यान दिया।
शिक्षकों का उत्साह और स्वागत
जैसे ही जिला पदाधिकारी विद्यालय में पहुँचीं, उपस्थित शिक्षकों ने उन्हें करतल ध्वनि से स्वागत किया। यह दृश्य शिक्षकों के उत्साह और सम्मान का परिचायक था।
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शिक्षकगणों ने अपने अनुभव साझा किए।
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प्रशिक्षण की उपयोगिता पर चर्चा की गई।
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यह माहौल शिक्षक-प्रशासन के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करने वाला रहा।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम
प्रशिक्षण की पृष्ठभूमि
सर्व शिक्षा अभियान का मुख्य उद्देश्य देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा से जोड़ना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है। इसी परिप्रेक्ष्य में 82 शिक्षकों का ग़ैर आवासीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया है।
प्रशिक्षण की विशेषताएँ
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नवीन शिक्षण विधियाँ – शिक्षकों को आधुनिक और प्रायोगिक तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है।
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बाल मनोविज्ञान पर ध्यान – बच्चों की मनोवैज्ञानिक जरूरतों को समझने पर बल दिया गया।
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ड्रॉपआउट बच्चों को जोड़ने की रणनीति – ऐसे बच्चों को शिक्षा से पुनः जोड़ने के व्यावहारिक उपायों पर चर्चा की गई।
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समाज के प्रति शिक्षक की जिम्मेदारी – प्रशिक्षण में इस पहलू पर भी जोर दिया गया कि शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि समाज के मार्गदर्शक होते हैं।
जिला पदाधिकारी का संबोधन
शिक्षकों को पथप्रदर्शक बताया
अपने संबोधन में जिला पदाधिकारी ने शिक्षकों को समाज का पथप्रदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही बच्चों को शिक्षा और संस्कार देकर देश का भविष्य गढ़ते हैं।
ड्रॉपआउट बच्चों पर चिंता
उन्होंने विशेष रूप से स्कूल ड्रॉपआउट बच्चों की समस्या पर चिंता जताई।
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नवाचारी तकनीकों का प्रयोग – डिजिटल शिक्षा, खेल-खेल में सीखना, समूह चर्चा और आर्ट-इंटीग्रेटेड लर्निंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर बच्चों को पुनः स्कूल से जोड़ने पर बल दिया।
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घर-घर संपर्क – ऐसे बच्चों के अभिभावकों से व्यक्तिगत मुलाकात कर उन्हें शिक्षा के महत्व से अवगत कराने की बात कही।
शिक्षकों का मनोबल बढ़ाया
जिलाधिकारी ने कहा कि “शिक्षक समाज की रीढ़ हैं, आपका उत्साह और समर्पण ही शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करता है।”
विद्यालय की स्थिति और निरीक्षण की विशेषताएँ
निरीक्षण के दौरान विद्यालय भवन, कक्षाओं की स्वच्छता, बच्चों के लिए मूलभूत सुविधाएँ और प्रशिक्षण की व्यवस्था का जायजा लिया गया।
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विद्यालय परिसर स्वच्छ पाया गया।
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प्रशिक्षण हॉल में शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी दिखी।
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जिला पदाधिकारी ने प्रबंधन से बच्चों की उपस्थिति, मिड-डे मील और पुस्तक वितरण व्यवस्था की भी जानकारी ली।
ड्रॉपआउट बच्चों को जोड़ने की रणनीतियाँ
जिला पदाधिकारी ने शिक्षकों को कई व्यवहारिक सुझाव दिए, जिनसे ड्रॉपआउट बच्चों को शिक्षा से पुनः जोड़ा जा सकता है:
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नवीन शिक्षण सामग्री का उपयोग – चित्र, कहानियाँ और डिजिटल साधनों से पढ़ाई को रोचक बनाना।
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खेल के माध्यम से शिक्षा – खेल-खेल में गणित, भाषा और विज्ञान की बुनियादी समझ विकसित करना।
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समूह आधारित शिक्षा – बच्चों को छोटे समूहों में बांटकर सहपाठी सहयोग से पढ़ाना।
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अभिभावक जागरूकता अभियान – घर-घर जाकर शिक्षा के महत्व को बताना।
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स्थानीय संसाधनों का उपयोग – बच्चों को स्थानीय भाषा, लोककला और संस्कृति से जोड़ते हुए पढ़ाई में रुचि जगाना।
प्रशिक्षण का दीर्घकालिक प्रभाव
इस प्रशिक्षण का असर केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका सीधा लाभ बच्चों और समाज को मिलेगा।
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शिक्षक नई तकनीकों से कक्षा में अधिक प्रभावी ढंग से पढ़ा सकेंगे।
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ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी।
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विद्यालय की गुणवत्ता और परिणामों में सुधार होगा।
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समाज में शिक्षा के प्रति सकारात्मक माहौल बनेगा।
शिक्षा और समाज का रिश्ता
जिलाधिकारी ने अपने निरीक्षण के दौरान यह स्पष्ट किया कि शिक्षा केवल विद्यालय तक सीमित नहीं है। यह समाज के हर वर्ग को प्रभावित करती है। यदि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित रह जाता है तो वह केवल उसका नहीं बल्कि पूरे समाज का नुकसान है। इसलिए शिक्षकों को यह जिम्मेदारी उठानी होगी कि कोई भी बच्चा पीछे न छूटे।
मध्य विद्यालय, कुतुबपुर का निरीक्षण केवल एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक सशक्त कदम साबित हुआ।
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82 शिक्षकों का उत्साह और प्रशिक्षण की गुणवत्ता ने प्रशासनिक व्यवस्था पर विश्वास को मजबूत किया।
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जिला पदाधिकारी का संदेश स्पष्ट था – “हर बच्चा शिक्षा का हकदार है और शिक्षक उसकी सफलता की कुंजी हैं।”
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इस प्रकार का संवाद और निरीक्षण शिक्षा की जमीनी चुनौतियों को दूर करने और भविष्य के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा।
👉 कुल मिलाकर, 22 अगस्त 2025 का यह दिन वैशाली जिले की शिक्षा व्यवस्था के लिए यादगार रहा, जहाँ जिला पदाधिकारी ने शिक्षकों को न केवल प्रेरित किया बल्कि समाज और बच्चों के भविष्य के प्रति उनकी जिम्मेदारी को और अधिक प्रखर बनाया।

