MAHNAR
लावापुर नारायण में पेड़ गिरने से उजड़ा आशियाना — विधायक प्रत्याशी रविंदर सिंह ने की मदद, दिया भरोसा
एक बड़ा हादसा टला, पर तबाही छोड़ गया पेड़
वैशाली जिले के महनार प्रखंड अंतर्गत लावापुर नारायण पंचायत के वार्ड संख्या 05 में रविवार को एक दर्दनाक घटना घटी, जब अचानक एक विशाल वृक्ष गिरने से दो घर पूरी तरह तबाह हो गए। श्री बेचन सहनी और श्री उदगार सहनी के घरों पर यह पेड़ गिरा, जिससे जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन दोनों परिवारों का आशियाना पूरी तरह उजड़ गया।
इस हादसे ने गाँव के शांत माहौल को झकझोर कर रख दिया और लोगों के मन में असुरक्षा की भावना भर दी।
तेज हवा के साथ गिरा पेड़, मचा हाहाकार
घटना सुबह के समय की बताई जा रही है, जब ग्रामीण अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त थे। तभी अचानक तेज हवा और बारिश के बीच एक पुराना व भारी पेड़ भरभरा कर गिर पड़ा और बेचन सहनी तथा उदगार सहनी के मकानों पर आ गिरा।
पेड़ के गिरते ही घर की छत, दीवारें और सामान पूरी तरह से दब गए। सौभाग्यवश, परिवार के सभी सदस्य समय रहते घर से बाहर निकल आए, जिससे किसी की जान नहीं गई, लेकिन मकान और घरेलू सामानों को भारी नुकसान हुआ।
सहानुभूति और डर का माहौल
घटना के तुरंत बाद गांव के लोग मौके पर इकट्ठा हो गए। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया और प्रभावित परिवारों की मदद की।
स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों को भी सूचित किया गया। लोगों में डर है कि गांव में कई ऐसे पुराने और भारी पेड़ हैं, जो भविष्य में इसी तरह की घटनाओं का कारण बन सकते हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से इन पेड़ों को हटाने की मांग की है।
ER. रविंदर सिंह ने दिखाई संवेदनशीलता
घटना की जानकारी मिलते ही महनार विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक प्रत्याशी और सामाजिक कार्यकर्ता Er. रविंदर सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने दोनों प्रभावित परिवारों से मुलाकात की, उनके दुख में शामिल हुए और तुरंत ही आर्थिक सहायता भी प्रदान की।
रविंदर सिंह ने कहा,
"यह केवल एक घर नहीं टूटा है, बल्कि एक जीवन संघर्ष और वर्षों की मेहनत मलबे में बदल गई है। इस दुख की घड़ी में हम पीड़ित परिवार के साथ हैं।"
उन्होंने प्रशासन से भी पीड़ित परिवार के लिए आपदा राहत कोष से शीघ्र सहायता देने की मांग की और आश्वासन दिया कि वो व्यक्तिगत तौर पर भी घर के पुनर्निर्माण में मदद करेंगे।
आंखों में आंसू, दिल में डर
श्री बेचन सहनी ने कहा,
"हम तो बाल-बाल बचे हैं। अचानक ऐसा लगा जैसे आसमान सिर पर गिर पड़ा। जो कुछ था, सब मलबे में दब गया। बच्चों की किताबें, कपड़े, बर्तन – सब कुछ खत्म हो गया।"
वहीं श्री उदगार सहनी ने बताया कि उनका घर कच्चा था, और यह भारी पेड़ उसे पूरी तरह नष्ट कर गया। उन्होंने मदद की गुहार लगाई कि सरकार उनकी मदद करे, ताकि फिर से सिर पर छत बन सके।
त्वरित राहत और पुनर्निर्माण की जरूरत
ग्रामीणों ने प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग से मांग की है कि:
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घटनास्थल का सर्वे कर तुरंत राहत दी जाए
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प्रभावित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नया मकान उपलब्ध कराया जाए
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इलाके में खतरनाक पेड़ों की सूची बनाकर उन्हें हटाया जाए
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क्षतिग्रस्त मकान और सामानों की उचित मुआवजा राशि दी जाए
राजनीतिक और सामाजिक महत्व: जनता के बीच बन रहा भरोसा
Er. रविंदर सिंह की त्वरित मौजूदगी और सहायता ने उन्हें ग्रामीणों के बीच एक संवेदनशील और सक्रिय जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया है। यह घटना उनके राजनीतिक अभियान में एक मानवीय पहलू जोड़ती है, जहाँ वे केवल वादों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर सहायता प्रदान कर रहे हैं।
भविष्य की योजना: समाधान की ओर कदम
रविंदर सिंह ने यह भी बताया कि यदि वे जनता के समर्थन से विधानसभा में पहुँचते हैं तो:
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ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा से संबंधित तत्काल राहत कोष की व्यवस्था करेंगे
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गाँवों में पेड़ों की वैज्ञानिक छंटाई और कटाई कर आपदा से पूर्व बचाव योजना बनाएंगे
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पंचायत स्तरीय आपदा समिति का गठन कर ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी
एकजुटता ही सबसे बड़ा संबल
इस घटना ने यह तो दिखा दिया कि प्राकृतिक आपदाएं कब और कैसे आ जाएँ, कोई नहीं जानता। परन्तु ग्रामीणों की एकजुटता, मानवीयता और जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता ही किसी भी संकट का सामना करने की सबसे बड़ी ताकत होती है।
लावापुर नारायण की यह घटना एक चेतावनी भी है और सीख भी, कि हम अपने आसपास के खतरों के प्रति सजग रहें और प्रशासन को समय पर जानकारी दें, ताकि जीवन और संपत्ति की हानि को रोका जा सके।
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