गंगा स्नान के दौरान दर्दनाक हादसा: नवानगर घाट पर डूबने से 16 वर्षीय किशोर की मौत, SDRF ने शव निकाला।

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गंगा स्नान के दौरान दर्दनाक हादसा: नवानगर घाट पर डूबने से 16 वर्षीय किशोर की मौत, SDRF ने शव निकाला

सावन की पहली सोमवारी पर खुशी का माहौल मातम में बदला, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल।





: गहरे पानी में फिसला कदम, डूब गया मासूम

वैशाली जिले के बिदुपुर अंचल क्षेत्र अंतर्गत नवानगर गंगा घाट पर सावन मास की पहली सोमवारी को एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। सोमवार सुबह लगभग 8 बजे गंगा स्नान करने पहुंचे एक 16 वर्षीय किशोर की डूबने से मौत हो गई। मृतक की पहचान सराय थाना क्षेत्र के भकुरहर गांव निवासी अशोक ठाकुर के पुत्र हिमांशु कुमार के रूप में हुई है।

हिमांशु पिछले तीन महीने से नवानगर में अपनी मौसी के घर रह रहा था। सोमवार सुबह वह अपने मौसेरे भाई विक्रम कुमार के साथ गंगा स्नान करने गया था। लेकिन स्नान के दौरान अचानक वह गहरे पानी में चला गया और डूबने लगा। उसे डूबते देख घाट पर मौजूद लोगों ने बचाने की कोशिश की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।





स्थानीय लोगों ने दिखाई तत्परता, SDRF ने चलाया सर्च अभियान

घटना की जानकारी मिलते ही घाट पर मौजूद स्थानीय लोगों ने तुरंत खोजबीन शुरू की। लेकिन पानी की गहराई और बहाव के कारण सफलता नहीं मिल सकी। इसके बाद पुलिस और आपदा प्रबंधन को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची SDRF (State Disaster Response Force) की टीम ने गंगा में सर्च ऑपरेशन शुरू किया।

लगातार तीन घंटे की मशक्कत के बाद SDRF की टीम ने हिमांशु का शव नदी से बाहर निकाला। शव मिलने के बाद घाट पर मातमी सन्नाटा छा गया। घटना की पुष्टि होते ही पूरे गांव और परिजनों में कोहराम मच गया।


मृतक हिमांशु : एक उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षा में टूटा सपना

हिमांशु कुमार एक होनहार और विनम्र स्वभाव का किशोर था। परिजनों ने बताया कि वह पढ़ाई में अच्छा था और हर समय परिवार को आगे बढ़ाने का सपना देखा करता था। तीन महीने पहले ही वह मौसी के घर कुछ दिनों के लिए घूमने आया था, लेकिन किसे पता था कि वह अब कभी वापस नहीं लौटेगा।

उसकी मौत से परिजनों की दुनिया उजड़ गई है। खासकर उसके माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतक की मां बेसुध हो गई हैं और बार-बार एक ही सवाल कर रही हैं — “मेरे बेटे ने क्या गलती की थी?”


सावन के स्नान पर्व पर कड़ा सन्नाटा: श्रद्धा में छुप गया मातम

सावन का महीना हिंदू धर्म में बेहद पावन माना जाता है, और सोमवारी को विशेष रूप से गंगा स्नान का महत्व होता है। हर साल हजारों श्रद्धालु सावन में पवित्र नदी में स्नान करते हैं। सोमवार को भी घाटों पर भक्तों की भारी भीड़ थी। लेकिन इस हादसे ने नवानगर घाट की पूरी श्रद्धा और पावनता को गम में बदल दिया।

घाट पर मौजूद अन्य स्नानार्थी भी इस दर्दनाक घटना से स्तब्ध रह गए। घटना के बाद कई लोगों ने स्नान बीच में ही छोड़ दिया और घाट खाली हो गया।


पुलिस और प्रशासन की भूमिका: तनाव के बीच समझाइश से माने परिजन

हादसे के बाद शव मिलने के बाद परिजनों ने शव का पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि यह हादसा प्रशासन की लापरवाही के कारण हुआ है, क्योंकि घाट पर कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। परिजनों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझाने का प्रयास किया। अंततः अंचलाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के बाद परिजन शांत हुए और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।


बिदुपुर अंचलाधिकारी का बयान: मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू

इस मामले पर बिदुपुर अंचल अधिकारी करिश्मा कुमारी ने जानकारी दी कि, “गंगा में स्नान के दौरान 16 वर्षीय युवक की डूबने से मौत हुई है। SDRF द्वारा शव बरामद किया गया है और पोस्टमॉर्टम के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल भेजा गया है। पीड़ित परिवार को आपदा राहत के तहत मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की जाएगी।


स्थानीय लोगों की नाराजगी: सुरक्षा की मांग

घटना के बाद नवानगर घाट के स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गंगा स्नान के समय घाट पर किसी भी प्रकार की चेतावनी पट्टिका, लाइफगार्ड या सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं होते हैं। हर साल इस तरह की घटनाएं होती हैं, लेकिन प्रशासन कोई स्थायी उपाय नहीं करता।

स्थानीय मुखिया और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि घाटों पर सर्च लाइट, बैरिकेडिंग और लाइफ जैकेट की व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में और कोई हिमांशु जैसी दुर्घटना का शिकार न हो।


डूबने की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के उपाय

डूबने की घटनाएं सावन में आम हो जाती हैं, लेकिन इनसे बचाव के लिए प्रशासन को कई जरूरी कदम उठाने चाहिए:

  1. प्रत्येक घाट पर प्रशिक्षित गोताखोरों की तैनाती।

  2. लाइफ जैकेट, बोट, रस्सी और प्राथमिक चिकित्सा की उपलब्धता।

  3. स्थानीय पंचायतों और मंदिर समितियों की भागीदारी से निगरानी टीम।

  4. स्नान क्षेत्र का सीमांकन और चेतावनी बोर्ड।

  5. गहरे गड्ढों की भराई और सतह की सफाई।

 श्रद्धा में डूबा एक मासूम, लापरवाही बनी मौत की वजह

हिमांशु की मौत ने एक बार फिर सावन के पवित्र महीने में गंगा स्नान के दौरान होने वाली अनदेखी और लापरवाही को उजागर किया है। यह एक मासूम की ज़िंदगी का अंत है, जो प्रशासन की थोड़ी सी सतर्कता से बचाई जा सकती थी। अब जबकि प्रशासन मुआवजे की बात कर रहा है, सवाल यह है कि क्या हिमांशु जैसा हर बेटा, भाई और भांजा महज कुछ रुपये के मुआवजे में बदल दिया जाएगा?

समय आ गया है कि श्रद्धा और सुरक्षा दोनों को समान महत्व दिया जाए, वरना हर साल कोई न कोई घर इस तरह उजड़ता रहेगा।


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