स्वामी विवेकानंद की 123वीं पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि: हाजीपुर जिला विधिज्ञ संघ में हुआ श्रद्धा समारोह
✍ रूपेश कुमार सिंह, SG NEWS
युगद्रष्टा संत स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि
हाजीपुर स्थित जिला विधिज्ञ संघ परिसर में आज देश के महान संत, चिंतक और युवा प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की 123वीं पुण्यतिथि श्रद्धा, सम्मान और विचार विमर्श के साथ मनाई गई। इस अवसर पर अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में स्वामी विवेकानंद के तैल चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके जीवन, विचारों एवं राष्ट्रनिर्माण में योगदान को स्मरण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन: प्रेरणादायक विचारों की प्रस्तुति
कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिवक्ता राज कुमार दिवाकर ने की। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के भारत भ्रमण और उनके अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा:
“स्वामी विवेकानंद ने देश के कोने-कोने का भ्रमण कर गरीबी, अशिक्षा और जातीय भेदभाव को नज़दीक से देखा। विशेष रूप से दलितों की दुर्दशा ने उन्हें आंतरिक रूप से झकझोर दिया था।”
कार्यक्रम का संचालन भाजपा बिहार प्रदेश मीडिया प्रभारी (किसान मोर्चा) और अधिवक्ता हरेश कुमार सिंह ने किया। उन्होंने कहा:
“स्वामी विवेकानंद पहले ऐसे धार्मिक नेता थे जिन्होंने जनता को ही जनार्दन कहा। उनके लिए धर्म कोई रूढ़िवादी विचार नहीं था, बल्कि आत्मिक और सामाजिक उत्थान का माध्यम था।”
शिक्षा और आत्मबल के समर्थक थे स्वामी विवेकानंद
हरेश कुमार सिंह ने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जो व्यक्ति को न केवल ज्ञानवान, बल्कि चरित्रवान, परोपकारी और साहसी बनाती है। उन्होंने गरीबी के बावजूद भी धर्म से जुड़े आम जनमानस को देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आध्यात्मिकता भारत की आत्मा है, जिसे जागृत कर समाज को नई दिशा दी जा सकती है।
मुख्य वक्ता की प्रेरणास्पद बातें: राष्ट्रीयता, एकता और आत्मनिर्भरता का संदेश
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू नाथ सिंह ने स्वामी विवेकानंद के विचारों पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा:
“स्वामी विवेकानंद भारतीयता के सच्चे प्रतिनिधि थे। उन्होंने अपने विचारों में हमेशा विविधता में एकता, समावेशिता और सहअस्तित्व को बल दिया।”
उन्होंने कहा कि आज जब भारत "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" और "आत्मनिर्भर भारत" की ओर बढ़ रहा है, ऐसे समय में विवेकानंद के विचार राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी प्रेरणा हैं।
धार्मिक पुनर्जागरण और वैचारिक क्रांति के वाहक
कार्यक्रम में मौजूद अधिवक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि स्वामी विवेकानंद धार्मिक पुनर्जागरण काल के सबसे प्रभावशाली हस्ताक्षर थे। उन्होंने अपने वक्तव्यों और कार्यों के माध्यम से हिंदू धर्म को आधुनिक संदर्भों में व्याख्यायित किया और उसे वैज्ञानिक व तार्किक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।
श्री अमित कुमार तिवारी ने कहा:
"उनकी शिकागो धर्मसभा में दी गई ऐतिहासिक उद्घाटन वक्तव्य आज भी भारत के गौरव का प्रतीक है।"
अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी: विचारों को आत्मसात करने की अपील
इस अवसर पर उपस्थित अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करने और युवाओं को जागरूक करने का संकल्प लिया। सभी ने माना कि आज की युवा पीढ़ी को यदि कोई दिशा दे सकता है, तो वह विवेकानंद के विचार और उनके जीवन का आदर्श है।
उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व:
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अधिवक्ता अरविन्द कुमार सिंह
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अधिवक्ता प्रवीण कुमार रंजन
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अधिवक्ता विनय कुमार झा
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अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिंह
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अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार मिश्रा
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अधिवक्ता हरे कृष्ण झा, दिलीप कुमार झा, विनय कुमार, पंकज कुमार, रविशंकर कुमार
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अधिवक्ता संजय कुमार श्रीवास्तव, अजय यादव, संजय कुमार सिंह
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अधिवक्ता कुमार राजेश रंजन बक्शी, रामाकांत भारती, विजय कुमार विनीत, विजय कुमार श्रीवास्तव, शिव शंकर सिंह
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भाजपा बिदुपुर मंडल महामंत्री पवन कुमार सिंह
सभी उपस्थित जनों ने स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और भारत निर्माण में उनके योगदान को नमन किया।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा: आज भी प्रासंगिक हैं विवेकानंद
आज की वैश्विक चुनौतियों और सामाजिक विषमताओं के दौर में स्वामी विवेकानंद के विचार और दृष्टिकोण न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि अत्यंत आवश्यक भी हैं। उन्होंने कहा था:
"उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।"
यह संदेश आज के युवाओं को न केवल प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर, शिक्षित और चरित्रवान नागरिक बनने की प्रेरणा देता है।
विचारों की विरासत से भविष्य का निर्माण
हाजीपुर जिला विधिज्ञ संघ परिसर में आयोजित यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि एक वैचारिक जागरण था, जिसमें अधिवक्ताओं, समाजसेवियों और नागरिकों ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को वर्तमान समाज में लागू करने का संकल्प लिया।
उनका जीवन, उनके विचार, और उनका दृष्टिकोण भारत की आत्मा को जीवंत करते हैं। ऐसे आयोजनों के माध्यम से न केवल नई पीढ़ी को उनकी विरासत से जोड़ना संभव है, बल्कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
📍 SG NEWS विशेष संवाददाता – रूपेश कुमार सिंह
🗓️ तिथि – 04 जुलाई 2025 | स्थान – जिला विधिज्ञ संघ परिसर, हाजीपुर
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