करंट लगने से युवक की मौत: वैशाली जिले में वाटर प्लांट में हादसा, परिवार में मचा कोहराम

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परिचय: एक और मजदूर की दर्दनाक मौत

बिहार के वैशाली जिले में एक बार फिर एक दर्दनाक हादसा सामने आया है, जहाँ गंगा ब्रिज थाना क्षेत्र के रामपुर नौसहन स्थित एक वाटर प्लांट में काम कर रहे युवक की करंट लगने से मौत हो गई। मृतक की पहचान नवादा खुर्द गांव निवासी दिनेश सिंह के 22 वर्षीय पुत्र सोनू कुमार के रूप में हुई है। इस दुखद घटना ने पूरे परिवार को गहरे शोक में डाल दिया है।



घटना का विवरण: काम के दौरान हुआ हादसा

यह घटना तब हुई जब सोनू कुमार वाटर प्लांट में वाइपर मशीन से पानी निकालने का कार्य कर रहा था। काम के दौरान वह गलती से एक नंगे बिजली के तार के संपर्क में आ गया। करंट लगते ही वह बुरी तरह झुलस गया और मौके पर ही उसकी स्थिति गंभीर हो गई।

सोनू के साथ काम कर रहे मजदूर ऋतिक कुमार ने बताया कि जब उसने सोनू को बचाने की कोशिश की, तो उसे भी करंट का हल्का झटका लगा। यह स्पष्ट करता है कि घटनास्थल पर सुरक्षा के कोई उचित इंतजाम नहीं थे और बिजली के तार खुले हुए थे, जो किसी भी वक्त जानलेवा साबित हो सकते हैं।


परिजनों की स्थिति: मातम और आक्रोश

सोनू की मौत की खबर मिलते ही उसके घर में कोहराम मच गया। परिवार के लोग रो-रोकर बेहाल हो गए हैं। सोनू तीन भाइयों में एक था और घर का महत्वपूर्ण सहारा था। उसकी असामयिक मृत्यु ने पूरे परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है।

परिजनों ने बताया कि घटना के बाद वाटर प्लांट का संचालक भोला सिंह घायल सोनू को हाजीपुर के सदर अस्पताल लेकर गया, लेकिन वहाँ पहुँचते ही उसे अस्पताल में छोड़कर फरार हो गया। डॉक्टरों ने सोनू को मृत घोषित कर दिया।


संचालक का गैर-जिम्मेदार रवैया: सवालों के घेरे में प्रबंधन

घटना के बाद जिस तरह से वाटर प्लांट संचालक ने व्यवहार किया, वह बेहद गैर-जिम्मेदाराना था। परिजनों के अनुसार, भोला सिंह ने न सिर्फ सोनू को मरने के लिए अस्पताल में छोड़ दिया बल्कि उसके बाद अपना मोबाइल भी बंद कर लिया और गायब हो गया।

यह रवैया न केवल संवेदनहीनता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि प्लांट प्रबंधन मजदूरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति कितना उदासीन है।


पुलिस की कार्रवाई: शव कब्जे में लेकर भेजा पोस्टमार्टम

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय गंगा ब्रिज थाना पुलिस मौके पर पहुँची। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी की और फिर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

हालांकि पुलिस ने अपनी तरफ से त्वरित कार्रवाई की है, लेकिन अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आरोपी प्लांट संचालक के खिलाफ क्या ठोस कानूनी कदम उठाए जाएंगे।


मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देशभर के कारखानों और प्लांटों में मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता बरती जा रही है। बिजली के खुले तार, खराब उपकरण, और सुरक्षा मानकों की अनदेखी जैसी समस्याएँ आए दिन जान ले रही हैं।

सोनू कुमार की मौत इसी लापरवाही का नतीजा है, जो एक आम गरीब मजदूर की जिंदगी को कम कीमत पर आंकने की प्रवृत्ति को उजागर करता है।


न्याय की माँग: परिजनों की पुकार

सोनू के परिजनों और स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से न्याय की माँग की है। उन्होंने प्लांट संचालक की गिरफ्तारी और मुआवजे की माँग उठाई है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण ही मालिक वर्ग मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं।

साथ ही यह भी माँग की जा रही है कि मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता और नौकरी दी जाए ताकि उनका जीवन किसी तरह पटरी पर लौट सके।


सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता

इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि केवल कानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनके प्रभावी क्रियान्वयन की भी आवश्यकता है। राज्य सरकार और श्रम विभाग को चाहिए कि वे ऐसे उद्योगों और प्लांटों की समय-समय पर जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं।

यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में और भी निर्दोष मजदूर इस प्रकार की घटनाओं का शिकार हो सकते हैं।


निष्कर्ष: सुरक्षा में चूक ने ले ली एक और जान


रामपुर नौसहन के वाटर प्लांट में हुई यह घटना एक और कड़वा उदाहरण है कि कैसे सुरक्षा में थोड़ी सी भी चूक एक मजदूर की जान ले सकती है। सोनू कुमार की मौत ने न केवल उसके परिवार को तोड़ा है, बल्कि एक बार फिर प्रशासन, प्रबंधन और समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर मजदूरों की जान की कीमत कब समझी जाएगी।

अब ज़रूरत है न्याय की, जवाबदेही की और एक ऐसी व्यवस्था की जहाँ कोई भी मजदूर अपनी जान की परवाह किए बिना काम करने को मजबूर न हो। सोनू की मौत बेवजह न हो — यही इस हादसे के बाद समाज और सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है।

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