पटना से आई निगरानी विभाग की टीम ने की बड़ी कार्रवाई,
बिहार में भ्रष्टाचार पर निगरानी विभाग की कड़ी नजर**
बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी मुहिम एक बार फिर चर्चा में है। निगरानी विभाग लगातार कार्रवाई करते हुए उन अधिकारियों को निशाना बना रही है जो सरकारी पद पर रहते हुए जनहित के कार्यों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी कड़ी में वैशाली जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक वरिष्ठ अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है।
घटना का विवरण:
लालगंज बीडीओ नीलम कुमारी की गिरफ्तारी
वैशाली जिले के लालगंज प्रखंड विकास पदाधिकारी (B.D.O.) नीलम कुमारी को पटना से आई निगरानी विभाग की टीम ने 20,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा।
यह कार्रवाई उस समय की गई जब नीलम कुमारी एक लाभुक से आवास योजना के अंतर्गत मिलने वाली सहायता राशि को स्वीकृति देने के बदले में रिश्वत की मांग कर रही थीं। पीड़ित ने इस मामले की शिकायत निगरानी विभाग से की थी, जिसके बाद टीम ने जाल बिछाया और बीडीओ को रंगे हाथ पकड़ने में सफलता पाई।
कैसे हुई कार्रवाई? - योजनाबद्ध तरीके से फंसाया गया जाल
सूत्रों के अनुसार, लाभुक ने निगरानी विभाग से संपर्क कर जानकारी दी कि बीडीओ नीलम कुमारी उनसे आवास योजना के तहत स्वीकृति देने के बदले 20 हजार रुपये की मांग कर रही हैं।
निगरानी विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक विशेष टीम का गठन किया और पटना से वैशाली के लालगंज भेजा। योजनाबद्ध तरीके से ट्रैप बिछाया गया और जैसे ही लाभुक ने पैसे दिए, टीम ने बीडीओ को रंगे हाथ पकड़ लिया।
जांच का असर: सरकारी महकमे में मचा हड़कंप**
बीडीओ की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही पूरे प्रखंड कार्यालय और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।
जहां एक ओर यह घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साहसिक कदम मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी अफसरों में डर का माहौल भी देखा जा रहा है।
निगरानी विभाग की इस त्वरित कार्रवाई से यह संदेश गया है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया: “हमारे हक का पैसा हमसे छीना जा रहा था”
इस मामले में स्थानीय लोगों ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
एक लाभुक ने बताया कि कई बार आवेदन देने के बावजूद उन्हें आवास योजना की राशि नहीं मिली, और जब भी बीडीओ से मिलने जाते थे, कोई न कोई बहाना बना दिया जाता था।
जब रिश्वत की मांग की गई तो मजबूरन निगरानी विभाग से संपर्क करना पड़ा।
लोगों का कहना है कि यह कार्रवाई आम जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी थी।
भ्रष्टाचार की जड़ में योजनाओं की लाचारी,
इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि आखिर योजनाओं का लाभ जनता तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा।
प्रधानमंत्री आवास योजना, जो गरीबों के लिए शुरू की गई थी, उसका लाभ तब तक अधूरा ही रहता है जब तक अधिकारी अपनी मनमानी नहीं छोड़ते।
भ्रष्टाचार ने सरकारी योजनाओं को मज़ाक बना दिया है। रिश्वत के बिना फाइल आगे नहीं बढ़ती — यह आम बात हो गई है।
निगरानी विभाग की सतर्कता: पिछले मामलों की झलक**
यह पहली बार नहीं है जब निगरानी विभाग ने इस तरह की कार्रवाई की हो।
बीते कुछ वर्षों में कई बीडीओ, सीओ, इंजीनियर और अन्य पदाधिकारी रिश्वत लेते हुए पकड़े जा चुके हैं।
बिहार में निगरानी विभाग भ्रष्टाचारियों के लिए किसी खौफ से कम नहीं है।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau) की टीमों द्वारा की जा रही कार्रवाई लगातार सरकार की नीतियों को क्रियान्वित करने में मददगार साबित हो रही है।
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आगे की कार्रवाई: निलंबन तय, जांच जारी।
गिरफ्तारी के बाद नीलम कुमारी को निगरानी कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सरकार की तरफ से उनके निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
साथ ही, विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है, ताकि यह पता चल सके कि उन्होंने पहले भी इस तरह के मामलों में कोई भूमिका निभाई है या नहीं।
-संदेश स्पष्ट है — रिश्वतखोरों के लिए अब बिहार में कोई जगह नहीं।
जनता सजग हो और सरकारी तंत्र उत्तरदायी — तभी जाकर व्यवस्था सुधरेगी।
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Write ✍️ by RUPESH KUMAR SINGH director SGNEWS official,
