वैशाली विधानसभा से दिग्विजय नारायण की मजबूत दावेदारी: कुशवाहा समाज और जनसेवा की पूंजी से चुनावी मैदान में ताल ठोंकी,

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वैशाली विधानसभा से दिग्विजय नारायण की मजबूत दावेदारी: कुशवाहा समाज और जनसेवा की पूंजी से चुनावी मैदान में ताल ठोंकी



बाढ़ समय का फाइल फोटो 







परिचय: राजनीति में नई ऊर्जा का संचार


बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल है। वैशाली विधानसभा क्षेत्र से दिग्विजय नारायण सिंह ने अपनी दावेदारी को लेकर सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी है। वे न सिर्फ एक अनुभवी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, बल्कि वर्षों से क्षेत्र की जनता के बीच सामाजिक सरोकारों के लिए भी सक्रिय हैं। उनका राजनीतिक सफर उनके पिता बसावन प्रसाद भगत की विरासत से शुरू होता है, जिन्होंने कभी उत्तर प्रदेश के कद्दावर बाहुबली नेता अशोक सम्राट को चुनाव में हराकर अपनी पहचान बनाई थी।



पारिवारिक विरासत: राजनीति में गहराई से जुड़ा इतिहास


दिग्विजय नारायण  एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसने बिहार की राजनीति में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। उनके पिता बसावन प्रसाद भगत न केवल एक प्रभावशाली विधायक रहे, बल्कि राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही वजह रही कि उन्हें मंत्री पद से भी नवाजा गया। यह राजनीतिक विरासत दिग्विजय नारायण के नेतृत्व के लिए नींव का काम कर रही है।



राजनीतिक सफर की शुरुआत और संघर्ष

2001 में राजनीति में कदम रखने के बाद दिग्विजय नारायण ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे लगातार जनता के बीच मौजूद रहे और हर सुख-दुख में लोगों के साथ खड़े नजर आए। चाहे वह बाढ़ राहत हो, स्वास्थ्य शिविर हो या खेल प्रतियोगिताएं—हर मंच पर उनकी भागीदारी रही है। यही कारण है कि क्षेत्र की जनता में उनकी छवि एक सेवा भावी जनप्रतिनिधि के रूप में बनी है।



वैशाली में सक्रिय राजनीतिक भूमिका

वैशाली विधानसभा हो, लोकसभा क्षेत्र या फिर बिहार विधान परिषद—दिग्विजय नारायण सिंह की उपस्थिति और सक्रियता हर स्तर पर देखी जाती रही है। उनके कार्यशैली में स्पष्टता और संगठन क्षमता की झलक मिलती है। उनके अनुसार, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत की है और उन्हें आश्वासन भी मिला है कि आने वाले चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाया जा सकता है।



"यदि पार्टी मुझे उम्मीदवार बनाती है, तो वैशाली की सीट जीतकर पार्टी की झोली में डालूंगा,दिग्विजय नारायण 



जातीय समीकरण और कुशवाहा समाज का समर्थन

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं। दिग्विजय नारायण  कुशवाहा समाज से आते हैं जो कि राज्य में एक बड़ी आबादी रखता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि यदि उन्हें टिकट दिया गया, तो कुशवाहा समाज का विशाल समर्थन राष्ट्रीय जनता दल को प्राप्त होगा। उनके अनुसार, इस समाज का वोट केवल वैशाली नहीं बल्कि राज्य की अन्य सीटों पर भी पार्टी को लाभ देगा।



मेरे पिताजी प्रभावशाली कुशवाहा नेता हैं। यदि मैं चुनाव में उतरता हूं, तो पूरे बिहार में पार्टी प्रचारक के रूप में काम करूंगा जिससे कुशवाहा वोटर भारी संख्या में पार्टी से जुड़ेंगे,"* दिग्विजय नारायण 



*जनसेवा के माध्यम से जनता के दिलों में जगह बनाई*

राजनीति सिर्फ सत्ता का माध्यम नहीं, सेवा का व्रत है—इस सिद्धांत को दिग्विजय नारायण  ने बखूबी अपनाया है। उन्होंने न केवल सामाजिक कार्यक्रमों में भागीदारी की है, बल्कि कई बार आर्थिक सहायता देकर जरूरतमंदों की मदद भी की है। उनके कार्यों में शामिल हैं:


खेलों का आयोजन और समर्थन

  ग्रामीण स्तर पर क्रिकेट और फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजित करवाना और खिलाड़ियों को आर्थिक मदद व पुरस्कार देना।



महिलाओं को सशक्त बनाना

 सरकार की उज्ज्वला योजना के अंतर्गत उन्होंने करीब 2000 से अधिक महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए। यह उनके समाज सेवा के समर्पण को दर्शाता है।



युवाओं के साथ विशेष जुड़ाव

दिग्विजय नारायण  का मानना है कि युवाओं को यदि सही दिशा और मंच दिया जाए तो वे समाज और देश के लिए नई संभावनाएं पैदा कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उन्होंने खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन को प्राथमिकता दी। उन्होंने न केवल आयोजन में भाग लिया, बल्कि खुद पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल होकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन भी किया।



राजनीति में सोच और संकल्प

उनकी राजनीति का मूल आधार है—*समावेशी विकास और सामाजिक न्याय।* वे मानते हैं कि राजनीति जाति, धर्म, या वर्ग की सीमा से ऊपर उठकर जनता की सेवा का माध्यम होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे जातीय समीकरण का इस्तेमाल वोट के लिए नहीं बल्कि समरसता लाने के लिए करते हैं। उनका संकल्प है कि यदि उन्हें मौका मिला, तो वैशाली को बिहार के अग्रणी विधानसभाओं में शामिल किया जाएगा।



राष्ट्रीय जनता दल में उनकी संभावित भूमिका

राष्ट्रीय जनता दल का कुशवाहा समाज के साथ परंपरागत संबंध रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में यह मतदाता वर्ग कई दलों की ओर झुका है। दिग्विजय नारायण सिंह जैसे मजबूत चेहरे को आगे लाकर पार्टी इस वर्ग को फिर से अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। अगर उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो वे सिर्फ वैशाली ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार में पार्टी का प्रचार कर सकते हैं।



निष्कर्ष: एक संभावनाओं से भरा नेता


दिग्विजय नारायण  न केवल राजनीति में परिपक्वता और अनुभव का प्रतीक हैं, बल्कि समाजसेवा और युवाओं के उत्थान में उनकी भागीदारी उन्हें औरों से अलग बनाती है। वैशाली विधानसभा से उनकी दावेदारी केवल एक चुनावी घोषणा नहीं बल्कि एक जनांदोलन का रूप ले सकती है।

अगर राष्ट्रीय जनता दल उन्हें उम्मीदवार बनाती है, तो यह सीट उनके लिए मजबूत आधार बन सकती है और पार्टी को भी कुशवाहा समाज का व्यापक समर्थन प्राप्त हो सकता है।



लेखक रूपेश कुमार सिंह टिप्पणी

दिग्विजय नारायण एक ऐसे नेता हैं जिनके पास राजनीतिक अनुभव, पारिवारिक विरासत, सामाजिक सरोकार और जनसंपर्क की ताकत मौजूद है। वैशाली की जनता के लिए वे एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में उभर सकते हैं। अब देखना यह है कि राष्ट्रीय जनता दल उन्हें किस रूप में चुनाव में उतारती है।



Writen by RUPESH KUMAR SINGH director SGNEWS official 





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