शिक्षा विभाग के डीपीओ घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार: विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई से विभाग में मचा हड़कंप
नालंदा जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई, निगरानी विभाग ने पकड़ा 20 हजार की रिश्वत लेते अधिकारी
हिलसा में विजिलेंस की कार्रवाई से मचा हड़कंप
बिहार के नालंदा जिले के हिलसा थाना क्षेत्र से एक बड़ी और सनसनीखेज खबर सामने आई है। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग में तैनात एक जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) अनिल कुमार को 20 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए निगरानी विभाग (विजिलेंस) की टीम ने रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नालंदा जिले के महथ विद्यायनंद इंटर कॉलेज में जांच समिति के गठन को लेकर अनिल कुमार द्वारा 20 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी। कॉलेज से जुड़े एक व्यक्ति ने अनिल कुमार के इस भ्रष्ट आचरण की शिकायत निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से की थी। शिकायत के आधार पर विजिलेंस की टीम ने योजना बनाई और पूर्व निर्धारित स्थान हिलसा में राशि लेते ही आरोपी अधिकारी को रंगेहाथ पकड़ लिया।
गिरफ्तारी के बाद शिक्षा विभाग में खलबली
इस कार्रवाई के बाद नालंदा शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों में खलबली मच गई है। शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त बनाए रखने के लिए लगातार सरकार द्वारा निर्देश दिए जा रहे हैं, इसके बावजूद एक उच्च पद पर तैनात अधिकारी का इस तरह रिश्वत लेते पकड़ा जाना, विभाग की छवि को गहरा धक्का पहुंचाता है।
विजिलेंस की रणनीति और सटीकता
विजिलेंस विभाग ने इस कार्रवाई को बिल्कुल योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया। जैसे ही आरोपी अनिल कुमार ने 20 हजार रुपये की घूस ली, टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया है और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता की भूमिका अहम
इस पूरे प्रकरण में शिकायतकर्ता की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही, जिन्होंने बिना भय के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाई। उनकी तत्परता और साहस के कारण ही यह मामला उजागर हो सका। यह अन्य लोगों के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है कि यदि आप भ्रष्टाचार के खिलाफ ठान लें, तो बदलाव संभव है।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था सही हाथों में है? एक तरफ सरकार ‘शिक्षा सुधार’ और ‘स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने’ की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी लाभ के नाम पर रिश्वत लेकर शिक्षा संस्थानों का शोषण कर रहे हैं। इससे न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगता है बल्कि छात्रों और शिक्षकों के मनोबल को भी ठेस पहुंचती है।
विजिलेंस की सख्ती और अगली कार्रवाई
निगरानी विभाग ने बताया कि पूरे मामले की गहराई से जांच की जा रही है। आरोपी डीपीओ अनिल कुमार से यह भी पूछा जा रहा है कि क्या उन्होंने पहले भी इस प्रकार की रिश्वत ली है? यदि जांच में और भी अधिकारियों या कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आती है, तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व में भी शिक्षा विभाग में घोटालों के उदाहरण
यह कोई पहला मामला नहीं है जब बिहार के शिक्षा विभाग से भ्रष्टाचार की खबरें सामने आई हैं। पूर्व में शिक्षक नियोजन, छात्रवृत्ति वितरण और परीक्षा प्रणाली में भी कई गंभीर अनियमितताएं उजागर हो चुकी हैं। ऐसे मामलों में सरकार द्वारा समय-समय पर कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन जड़ से सुधार के लिए सतत निगरानी और पारदर्शी तंत्र की आवश्यकता है।
प्रशासन का रुख और जनता की प्रतिक्रिया
प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। वहीं, स्थानीय जनता और शिक्षा जगत के लोगों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है। एक शिक्षक ने कहा, "यदि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो, तो शिक्षा विभाग की छवि सुधरेगी और ईमानदार कर्मचारियों को भी काम करने का हौसला मिलेगा।"
: भ्रष्टाचार पर रोक जरूरी, नहीं तो योजनाएं होंगी असफल
यह घटना एक बार फिर स्पष्ट करती है कि भ्रष्टाचार विकास में सबसे बड़ी बाधा है। राज्य और केंद्र सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं इन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों के कारण अपने उद्देश्य में असफल होती हैं। शिक्षा जैसे संवेदनशील और भविष्य गढ़ने वाले क्षेत्र में यदि ऐसे अधिकारी रहेंगे, तो देश की भावी पीढ़ी पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा।
इसलिए ज़रूरत है कि सरकार विजिलेंस जैसी इकाइयों को और अधिक सशक्त करे, आम नागरिकों को भी जागरूक बनाया जाए, ताकि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंका जा सके।
Writen by RUPESH KUMAR SINGH DIRECTOR SGNEWS official,

