प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) कर्मियों की हड़ताल पर सरकार की सख्ती: चेतावनी के साथ संविदा रद्द करने की चेतावनी।
ग्रामीण विकास विभाग ने स्पष्ट किया – कार्यक्षेत्र में अनुपस्थिति पर होगी कार्रवाई
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और संविदाकर्मियों की भूमिका
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब और बेघर परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराना है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन में ग्रामीण आवास सहायक, ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक एवं लेखापाल (ग्रामीण आवास) की अहम भूमिका रही है, जो संविदा के आधार पर नियोजित हैं।
हालांकि, दिनांक 23 जून 2025 से इन कर्मियों द्वारा सामूहिक हड़ताल पर जाने की सूचना मिलने के बाद से ही इस योजना के क्रियान्वयन पर प्रश्नचिह्न लग गया है। इस परिस्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए चेतावनी पत्र जारी किया है।
चेतावनी पत्र और अनुशासनात्मक निर्देश: प्रखण्डों को भेजा गया आदेश
जिला वैशाली के सभी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को कार्यालय पत्रांक 2231/अभि० दिनांक 24.06.2025 के माध्यम से स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे हड़ताल में शामिल कर्मियों को चेतावनी पत्र निर्गत करें। इस चेतावनी पत्र का उद्देश्य कर्मियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाना और अनाधिकृत अनुपस्थिति से उत्पन्न स्थिति से निपटना है।
राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग, बिहार, पटना द्वारा भेजे गए पत्रांक 4235225 दिनांक 20.06.2025 में भी स्पष्ट कहा गया है कि यदि संबंधित कर्मियों से 48 घंटे के अंदर संतोषजनक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होता, तो उनकी संविदा को रद्द करने की अनुशंसा के साथ प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए।
सरकार की मंशा स्पष्ट: कार्य में बाधा नहीं स्वीकार्य
सरकार का रुख इस मुद्दे पर स्पष्ट है – जनहित में चल रही योजनाओं में किसी प्रकार की बाधा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विशेषकर प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कार्यक्रम, जिसमें लाखों गरीब परिवारों की आशा जुड़ी हुई है, उसमें व्यवधान न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि नैतिक रूप से भी अस्वीकार्य है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कर्मियों को चेतावनी देते हुए निर्देशित किया गया है कि वे अविलम्ब कार्यक्षेत्र में उपस्थित हों और कार्यों का निष्पादन सुनिश्चित करें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो संविदा रद्द कर चयनमुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
संविदाकर्मी क्यों हैं नाराज़?
संविदा पर नियुक्त कर्मियों द्वारा सामूहिक हड़ताल की घोषणा से यह संकेत मिलता है कि उनकी कुछ वेतन, स्थायीत्व, सेवा शर्तों या कार्य-प्रदर्शन से जुड़ी मांगें हैं। हालांकि इस संदर्भ में औपचारिक माँगपत्र या हड़ताल का कारण सरकार के प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट नहीं किया गया है, फिर भी यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उनकी मांगें स्थायीकरण, भत्तों में वृद्धि, सेवा सुरक्षा से जुड़ी हो सकती हैं।
जनहित बनाम अधिकार: दोधारी स्थिति
यह एक जटिल स्थिति है जहाँ एक ओर संविदा कर्मियों के अधिकार हैं तो दूसरी ओर जनहित और योजनाओं का क्रियान्वयन। अगर कर्मी उचित वेतन, सुरक्षा और सुविधाएं नहीं प्राप्त कर रहे हैं, तो उनकी नाराजगी वाजिब हो सकती है। लेकिन दूसरी तरफ, अगर योजनाएं रुकती हैं, तो ग्रामीण गरीबों को बड़ा नुकसान होता है।
इस संतुलन को बनाए रखना सरकार और कर्मियों दोनों की जिम्मेदारी है।
जिलास्तरीय प्रशासन की भूमिका
वैशाली जिले के सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को निर्देश मिला है कि वे:
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हड़ताल में शामिल कर्मियों को तुरंत चेतावनी पत्र भेजें।
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48 घंटे के अंदर उनका स्पष्टीकरण प्राप्त करें।
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यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं है, तो संविदा रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करें।
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कार्य बाधित नहीं हो, इसका हरसंभव उपाय करें।
यह निर्देश जिला स्तरीय प्रशासन की सक्रियता और जवाबदेही को दर्शाता है।
जनता की उम्मीदें और योजना की जरूरत
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण उन गरीब, वंचित और बेघर परिवारों के लिए आशा की किरण है जो दशकों से पक्के घर के सपने देख रहे हैं। यदि संविदा कर्मियों की हड़ताल से योजना बाधित होती है, तो इसका सीधा असर इन परिवारों पर पड़ेगा।
ऐसे में सरकार को कर्मियों से संवाद कर समस्या का समाधान निकालना चाहिए ताकि न कर्मियों का मनोबल टूटे और न ही योजना की प्रगति रुके।
सहयोग से ही समाधान
संविदा कर्मियों और सरकार के बीच संवाद अत्यंत आवश्यक है। जहां कर्मियों को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का हक है, वहीं सरकार को यह सुनिश्चित करना है कि जनहित की योजनाएं किसी भी स्थिति में बाधित न हों।
इस मुद्दे पर जल्द से जल्द समाधान निकालना आवश्यक है, ताकि एक ओर जहां कर्मियों को न्याय मिले, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण भारत के गरीबों का सपना – “हर परिवार को पक्का घर” – भी साकार हो सके।
Writen by RUPESH KUMAR SINGH DIRECTOR SGNEWS OFFICIAL।


