एशिया प्रसिद्द सोनपुर मेला का भव्य शुभारंभ : परंपरा और आस्था का संगम
— दीप प्रज्वलन कर सारण रेंज के आयुक्त राजीव रोशन ने किया विधिवत उद्घाटन
🌟 ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर — सोनपुर मेला की पहचान
सारण जिले के सोनपुर में आयोजित एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला, जिसे सोनपुर मेला या हरिहर क्षेत्र मेला के नाम से जाना जाता है, रविवार की शाम पारंपरिक और धार्मिक माहौल में विधिवत रूप से शुरू हुआ। यह मेला सदियों पुरानी भारतीय परंपरा, संस्कृति, व्यापार और आस्था का संगम माना जाता है।
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला यह मेला न सिर्फ बिहार या भारत के लोगों को आकर्षित करता है, बल्कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और कई अन्य देशों से भी पर्यटक और व्यापारी यहां पहुंचते हैं।
🔥 दीप प्रज्वलन से हुआ विधिवत शुभारंभ
रविवार की शाम सारण रेंज के आयुक्त श्री राजीव रोशन ने दीप प्रज्वलित कर मेले का उद्घाटन किया। दीप प्रज्वलन के साथ ही पूरे वातावरण में उत्साह और उमंग की लहर दौड़ गई। इस दौरान पारंपरिक संगीत, नगाड़ों और शंखनाद के बीच उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया।
उद्घाटन अवसर पर सारण रेंज के डीआईजी नीलेश कुमार, जिलाधिकारी अमन समीर, एसएसपी कुमार आशीष, नगर परिषद अध्यक्ष, विभिन्न विभागों के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि और श्रद्धालु मौजूद थे।
🏕️ रंगारंग कार्यक्रमों से गूंजा सोनपुर मेला परिसर
उद्घाटन के बाद सांस्कृतिक मंच पर बिहार की पारंपरिक कला और संस्कृति की झलक देखने को मिली। लोकगायक दलों ने भोजपुरी, मैथिली और मगही गीतों की प्रस्तुति दी, वहीं नृत्य कलाकारों ने बिहार की समृद्ध लोकसंस्कृति को मंच पर जीवंत कर दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बिहारी लोक नृत्य, झूमर, धमाल और ढोलक पर थिरकते कलाकारों ने दर्शकों का मन मोह लिया। उद्घाटन दिवस पर “हरिहर क्षेत्र की महिमा” पर आधारित नाट्य प्रस्तुति ने लोगों को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की याद दिला दी।
🐘 कभी एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला
सोनपुर मेला की पहचान कभी एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के रूप में होती थी। पहले यहां हाथी, घोड़े, ऊंट, गाय, बैल से लेकर कई दुर्लभ नस्ल के पशुओं की खरीद-बिक्री होती थी। हालांकि अब वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत हाथियों की खरीद-बिक्री पर रोक लग चुकी है, फिर भी इस मेले का आकर्षण कम नहीं हुआ है।
आज भी यहां घोड़ों की नस्लें, बैलों की जोड़ी, और अन्य घरेलू पशुओं का प्रदर्शन व बिक्री बड़ी संख्या में होती है। इसके साथ-साथ अब यह मेला हस्तशिल्प, हथकरघा, लोकसंस्कृति और आधुनिक मनोरंजन का भी केंद्र बन गया है।
🕌 हरिहर क्षेत्र की धार्मिक महत्ता
सोनपुर मेला सिर्फ व्यापारिक या मनोरंजन का केंद्र नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां गंगा और गंडक नदी का संगम स्थल, जिसे “हरिहर क्षेत्र” कहा जाता है, अत्यंत पवित्र माना जाता है।
किंवदंती है कि यही वह स्थान है जहां भगवान हरि (विष्णु) और हर (शिव) का संगम हुआ था। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां स्नान करने और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु गंगा-गंडक के संगम में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं।
🚩 प्रशासन की सख्त निगरानी और व्यवस्थाएं
जिलाधिकारी अमन समीर और एसएसपी कुमार आशीष ने संयुक्त रूप से मेले के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया। सुरक्षा व्यवस्था के लिए मेला क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे, कंट्रोल रूम, ड्रोन निगरानी, महिला पुलिस बल और आपातकालीन हेल्प डेस्क की व्यवस्था की गई है।
प्रशासन ने यातायात, स्वच्छता, पेयजल, प्रकाश व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया है।
डीआईजी नीलेश कुमार ने कहा कि “सुरक्षा और सुविधा दोनों हमारी प्राथमिकता है। इस ऐतिहासिक मेले में आने वाले हर व्यक्ति को सुरक्षित और सुखद अनुभव मिले, यही हमारा प्रयास है।”
🎡 आधुनिकता और परंपरा का संगम
सोनपुर मेला समय के साथ आधुनिक स्वरूप ले चुका है। अब यहां आधुनिक झूले, बच्चों के लिए मनोरंजन पार्क, सर्कस, थियेटर, फूड स्टॉल, हस्तशिल्प प्रदर्शनी और औद्योगिक पंडाल लगाए गए हैं।
राज्य पर्यटन विभाग की ओर से लगाई गई “बिहार दर्शन प्रदर्शनी” विशेष आकर्षण का केंद्र बनी है। यहां बिहार की पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक स्थलों और संस्कृति की झलक प्रस्तुत की गई है।
🧵 हस्तशिल्प और स्वदेशी उत्पादों की धूम
मेले में इस वर्ष हस्तशिल्प, मधुबनी पेंटिंग, सीतामढ़ी के ऊनी वस्त्र, भागलपुर के रेशमी कपड़े, और वैशाली के हस्तनिर्मित सामान लोगों को आकर्षित कर रहे हैं।
महिला स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जहां ग्रामीण महिलाएं अपने द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री कर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं।
🚜 व्यापारियों और पर्यटकों का उमड़ा सैलाब
उद्घाटन के पहले दिन से ही मेले में देशभर से व्यापारी पहुंचे हैं। पशुपालक, किसान, हस्तशिल्पी और उद्यमी अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल से भी भारी संख्या में लोग सोनपुर पहुंचे हैं।
पर्यटकों के लिए विशेष ट्रेन और बस सेवाएं चलाई गई हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर मेला मैदान तक सड़कों पर भीड़ और रौनक का नज़ारा देखने लायक है।
💬 अधिकारियों के वक्तव्य
सारण रेंज के कमिश्नर राजीव रोशन ने कहा —
“सोनपुर मेला सिर्फ एक व्यापारिक आयोजन नहीं, बल्कि बिहार की पहचान और परंपरा का प्रतीक है। हमें गर्व है कि यह मेला आज भी अपने गौरव को बनाए हुए है।”
जिलाधिकारी अमन समीर ने कहा —
“हमारा लक्ष्य है कि इस बार का सोनपुर मेला पर्यटकों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और आकर्षक बने। प्रशासन हर स्तर पर तैयारी कर चुका है।”
🌺 : आस्था, परंपरा और उत्सव का अनोखा संगम
सोनपुर मेला न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। यहां आस्था, व्यापार, मनोरंजन और परंपरा का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
रविवार की शाम हुए उद्घाटन के साथ ही इस ऐतिहासिक मेले ने फिर एक बार यह साबित कर दिया कि परंपरा कभी पुरानी नहीं होती — वह हर युग में नए रूप में लौटती है।
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