राजापाकड़ की विधायक प्रतिमा दास ने रूठे कार्यकर्ताओं को मनाकर दिखाई राजनीतिक समझदारी, विरोधियों को भी बनाया सहयोगी,विकास कार्यों की चर्चा बनी चुनावी मुद्दा,

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राजापाकड़ की विधायक प्रतिमा दास ने रूठे कार्यकर्ताओं को मनाकर दिखाई राजनीतिक समझदारी, विरोधियों को भी बनाया सहयोगी





राजनीतिक समरसता का उदाहरण बनीं प्रतिमा दास

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राज्य की राजनीति में हलचल तेज होती जा रही है। हर दल अपने उम्मीदवारों को लेकर रणनीति बना रहा है। इसी बीच राजापाकड़ विधानसभा क्षेत्र की विधायक एवं महागठबंधन की प्रत्याशी प्रतिमा दास ने अपनी सूझबूझ और संवाद कौशल से एक बार फिर साबित कर दिया है कि राजनीति में रिश्ते और विश्वास सबसे बड़ी पूंजी होती है।
लंबे समय से नाराज़ चल रहे कुछ कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को उन्होंने न केवल मनाया, बल्कि उन्हें पुनः अपने साथ जोड़ लिया। जो लोग पहले विरोध कर रहे थे, अब वही चुनावी रण में उनके सबसे बड़े सहयोगी के रूप में सामने आ रहे हैं।


 विरोध से विश्वास तक का सफर

कुछ समय पहले तक राजापाकड़ विधानसभा में प्रतिमा दास को अपने ही कार्यकर्ताओं के असंतोष का सामना करना पड़ रहा था।
कई स्थानीय नेताओं और समर्थकों ने टिकट वितरण एवं संगठनात्मक निर्णयों को लेकर असंतोष जताया था। क्षेत्र में कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया था।
परंतु, प्रतिमा दास ने स्थिति को टकराव का रूप न देकर संवाद का माध्यम चुना। उन्होंने एक-एक कर सभी असंतुष्ट कार्यकर्ताओं से मुलाकात की, उनकी समस्याएं सुनीं और समाधान का आश्वासन दिया।


 संवाद और समर्पण से बनी नयी एकजुटता

राजनीति में यह कहा जाता है कि "जो सुनता है, वही जीतता है" — और प्रतिमा दास ने इसे साबित किया।
उन्होंने व्यक्तिगत रूप से गांव-गांव जाकर लोगों से मुलाकात की, अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया और स्थानीय मुद्दों पर स्पष्ट दृष्टिकोण रखा।
उनका यह व्यवहारिक और सहज रवैया लोगों को फिर से उनके साथ जोड़ने में सफल रहा।
आज वही कार्यकर्ता जो पहले नाराज़ थे, अब उनके प्रचार-प्रसार में सबसे आगे हैं।


 जनता का बढ़ता विश्वास और समर्थन

राजापाकड़ क्षेत्र की जनता ने हमेशा विकास और जनसेवा को प्राथमिकता दी है।
प्रतिमा दास ने अपने पिछले कार्यकाल में सड़कों, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई योजनाओं को जमीन पर उतारा।
आज जब वह पुनः चुनाव मैदान में उतरी हैं, तो जनता का स्नेह और समर्थन पहले से कहीं अधिक दिखाई दे रहा है।
लोगों का कहना है कि उन्होंने क्षेत्र की जनता के सुख-दुख में हमेशा साथ दिया है, यही कारण है कि आज पूरा इलाका उनके समर्थन में खड़ा है।


चुनावी सरगर्मी और राजनीतिक समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, और अब हर दल अपने-अपने उम्मीदवारों को लेकर पूरी ताकत झोंक रहा है।
महागठबंधन की ओर से राजापाकड़ में प्रतिमा दास को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है।
एनडीए गठबंधन भी पूरे जोश के साथ मैदान में है, लेकिन महागठबंधन के पक्ष में एकता और सामंजस्य का जो माहौल बना है, उसने प्रतिद्वंद्वियों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।
स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह जनसमर्थन इसी तरह बना रहा, तो प्रतिमा दास दोबारा ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सकती हैं।


 कार्यकर्ताओं के बदले रुख से बढ़ा आत्मविश्वास

प्रतिमा दास ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा —

“कुछ लोगों के बीच बेवजह दूरियां थीं, जिन्हें अब समाप्त कर दिया गया है। जिन्होंने पहले विरोध किया, आज वही लोग मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। राजापाकड़ की जनता मेरे परिवार की तरह है, और हम सब मिलकर अपने क्षेत्र का विकास करेंगे।”

उनका यह वक्तव्य न केवल एक नेता की विनम्रता दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे राजनीति को सेवा और समर्पण का माध्यम मानती हैं।
उनके समर्थकों का कहना है कि यह सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि “विश्वास की पुनर्स्थापना” की लड़ाई है, जिसमें वे अवश्य विजयी होंगी।


 विकास कार्यों की चर्चा बनी चुनावी मुद्दा

चुनाव के दौरान जहां कई उम्मीदवार जातीय समीकरण और वादों पर निर्भर रहते हैं, वहीं प्रतिमा दास अपने काम के बल पर जनता के बीच जा रही हैं।
उन्होंने क्षेत्र में सड़कों के निर्माण, महिला समूहों को आर्थिक सहयोग, शिक्षा संस्थानों में सुधार, और युवाओं को रोजगार से जोड़ने जैसी कई पहलें की हैं।
आज यही विकास कार्य उनकी सबसे बड़ी पूंजी बन चुके हैं।
लोग खुले तौर पर कह रहे हैं कि “विकास दिखता है, वादे नहीं” — और यही संदेश उनके प्रचार में भी देखा जा सकता है।


महिलाओं और युवाओं में बढ़ती लोकप्रियता

प्रतिमा दास का सबसे मजबूत जनाधार महिलाओं और युवाओं में देखा जा रहा है।
महिला मतदाता उन्हें “अपनी आवाज़” मानती हैं, जबकि युवाओं को उनके नेतृत्व में नए अवसरों की उम्मीद है।
उन्होंने महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से सशक्त किया और युवाओं को स्किल डेवलपमेंट योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया।
यही कारण है कि राजापाकड़ में युवा मतदाता बड़े उत्साह से उनके पक्ष में प्रचार कर रहे हैं।


 विपक्ष पर भी असर डाल रहा है प्रतिमा दास का पुनर्मिलन अभियान

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रतिमा दास द्वारा नाराज़ कार्यकर्ताओं को साथ लाने की रणनीति ने विपक्षी दलों की नींद उड़ा दी है।
विपक्ष को उम्मीद थी कि असंतुष्ट कार्यकर्ता बगावत करेंगे या प्रचार में ढील देंगे, लेकिन इसके उलट अब वही कार्यकर्ता पूरी ताकत से प्रचार में जुटे हैं।
इस एकजुटता ने महागठबंधन को क्षेत्र में और मज़बूत बना दिया है।


राजापाकड़ की जनता का संदेश — "एकता ही विकास की कुंजी"

राजापाकड़ के लोगों ने इस बार स्पष्ट कर दिया है कि वे विभाजन नहीं, एकता चाहते हैं।
गांवों में चर्चाएं हैं कि “विकास वही करेगा जो सबको साथ लेकर चलेगा” — और यही संदेश जनता अब खुद दे रही है।
यह राजनीतिक परिपक्वता न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति के लिए एक प्रेरक उदाहरण है।


निष्कर्ष: विश्वास की जीत की ओर बढ़ता राजापाकड़

राजनीति में मतभेद सामान्य हैं, लेकिन जो नेता मतभेद को संवाद से समाप्त करता है, वही सच्चा जननेता कहलाता है।
प्रतिमा दास ने अपने कार्यों और विनम्रता से यह साबित कर दिया है कि जनता का दिल जीतने के लिए अहंकार नहीं, अपनापन चाहिए।
राजापाकड़ आज जिस तरह से एकजुट होकर उनके साथ खड़ा है, वह इस बात का संकेत है कि विश्वास की यह जीत अब बहुत दूर नहीं।



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