बिहार बंद: बिहार बंद: गांधी चौक पर एनडीए कार्यकर्ताओं का उबाल, सड़क पर उतरे,बिदुपुर बाजार ‘मां का अपमान नहीं सहेगा बिहार’ के नारों से गूंजा।

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बिहार बंद: बिदुपुर बाजार ‘मां का अपमान नहीं सहेगा बिहार’ के नारों से गूंजा


बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाती नज़र आई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर दिए गए अपमानजनक बयान के विरोध में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। विदुपुर प्रखंड के गांधी चौक से लेकर पूरे बाजार में नारों की गूंज सुनाई दी – “मां का अपमान नहीं सहेगा बिहार”। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने बंद को सफल बनाने के लिए सड़क जाम किया और व्यापक प्रदर्शन किया





बिहार बंद का ऐलान और पृष्ठभूमि

महागठबंधन के एक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर कथित तौर पर अपशब्द कहे गए। इस बयान ने न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं बल्कि आम जनता की भावनाओं को भी आहत किया।
एनडीए ने इसे जनता और मातृशक्ति का अपमान बताया और पूरे बिहार में बंदी का आह्वान किया। इसी आह्वान के तहत विदुपुर प्रखंड के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता सड़क पर उतर आए।





विदुपुर प्रखंड में एनडीए का प्रदर्शन

गांधी चौक पर जुटी भीड़

विदुपुर प्रखंड का गांधी चौक प्रदर्शन का केंद्र बना। सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में एनडीए समर्थक और आम लोग यहां पहुंचने लगे। हाथों में पार्टी के झंडे और पोस्टर लिए कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की।
नारे गूंजते रहे –

  • “मां का अपमान नहीं सहेगा बिहार”

  • “महागठबंधन होश में आओ”

  • “मोदी जी आप संघर्ष करो, हम आपके साथ हैं”

सड़क जाम और बाजार बंद

प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क पर जाम लगा दिया। कई घंटे तक यातायात पूरी तरह बाधित रहा। बाजार की दुकानें भी बंद रहीं, जिससे बंदी का व्यापक असर दिखा। स्थानीय व्यापारी भी इस आंदोलन में शामिल हुए और कहा कि मां का अपमान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।




महिला शक्ति की भागीदारी

इस आंदोलन की सबसे खास बात रही महिलाओं की सक्रिय भागीदारी। बड़ी संख्या में महिलाएं अपने घरों से निकलकर सड़क पर उतरीं और हाथों में तख्तियां लेकर विरोध जताया।
महिलाओं ने कहा –
“किसी भी मां का अपमान, हर भारतीय मां का अपमान है। राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन किसी की मां को गाली देना अस्वीकार्य है।”


नेताओं के भाषण और आक्रोश

स्थानीय नेताओं का संदेश

एनडीए के स्थानीय नेताओं ने मंच से भाषण देते हुए कहा कि महागठबंधन के नेता सीमा लांघ चुके हैं।
उन्होंने कहा –
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ भाजपा के नहीं, पूरे देश के नेता हैं। उनकी मां का अपमान पूरे देश की संस्कृति का अपमान है। बिहार इस तरह के अपशब्दों को बर्दाश्त नहीं करेगा।”

राजनीतिक चुनौती

नेताओं ने साफ किया कि यह आंदोलन सिर्फ एक दिन की बंदी नहीं है, बल्कि आने वाले चुनावों में जनता इस अपमान का जवाब वोट से देगी।


जनता का समर्थन

बंद को सफल बनाने में आम जनता का भी अहम योगदान रहा। स्थानीय निवासी, व्यापारी और युवा सड़क पर कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहे।
कई स्कूली छात्रों और युवाओं ने भी नारे लगाए और कहा कि राजनीति में इस तरह की गाली-गलौज की जगह नहीं होनी चाहिए।


बिहार की राजनीतिक धरातल पर असर

महागठबंधन की मुश्किलें

यह घटना महागठबंधन के लिए बड़ी राजनीतिक मुश्किल खड़ी कर सकती है। जनता में जो आक्रोश देखा गया, उससे साफ है कि भाजपा और एनडीए इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं।

एनडीए का मनोबल बढ़ा

एनडीए कार्यकर्ताओं में इस बंदी ने नया उत्साह भर दिया। उनका कहना है कि जनता उनके साथ है और यही समर्थन आने वाले चुनाव में परिणाम देगा।


पुलिस और प्रशासन की भूमिका

प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने यातायात को संभालने की कोशिश की और यह सुनिश्चित किया कि आंदोलन शांतिपूर्ण बना रहे।
हालांकि सड़क जाम से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन किसी बड़े उपद्रव की खबर नहीं आई।


सोशल मीडिया पर गूंज

बिहार बंद का असर सोशल मीडिया पर भी दिखा। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #मां_का_अपमान_नहीं_सहेगा_बिहार और #BiharBand जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। युवाओं ने बड़ी संख्या में इस आंदोलन के समर्थन में पोस्ट साझा किए।


: क्यों गरमाई राजनीति?

भारतीय राजनीति में निजी हमले हमेशा विवाद का कारण बनते रहे हैं, लेकिन जब यह हमले परिवार और खासकर मां पर हों, तो यह समाज की भावनाओं को गहराई से चोट पहुंचाते हैं।
बिहार जैसे भावनात्मक और पारंपरिक मूल्यों वाले राज्य में यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो जाता है। यही कारण है कि एनडीए इसे व्यापक जनआंदोलन का रूप देने में सफल रहा।


आगे की रणनीति

एनडीए के नेताओं ने साफ कहा है कि यह सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में और भी बड़े आंदोलन किए जाएंगे, ताकि महागठबंधन को सबक सिखाया जा सके।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि महागठबंधन के नेता माफी नहीं मांगते, तो पूरे बिहार में और कड़े आंदोलन होंगे।



विदुपुर प्रखंड में हुआ यह आंदोलन सिर्फ एक स्थानीय विरोध नहीं, बल्कि पूरे बिहार के जनमानस की भावनाओं का प्रतिबिंब है।
“मां का अपमान नहीं सहेगा बिहार” का नारा अब एक राजनीतिक संदेश बन चुका है। यह आंदोलन बताता है कि जनता राजनीति में असहमति स्वीकार कर सकती है, लेकिन परिवार और मां जैसे पवित्र रिश्ते पर हमला नहीं।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा बिहार की राजनीति और चुनावी समीकरणों को किस तरह प्रभावित करता है।



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