तिरंगे का अपमान या लापरवाही?
महनार के पंजाब नेशनल बैंक में स्वतंत्रता दिवस पर उठे सवाल
भारत की आज़ादी का पर्व – 15 अगस्त – देशभर में सम्मान, गर्व और देशभक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन हर सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में तिरंगा फहराया जाता है और विधिवत झंडा उतारने की प्रक्रिया भी अपनाई जाती है। लेकिन वैशाली जिले के महनार स्थित पंजाब नेशनल बैंक में स्वतंत्रता दिवस पर ऐसा वाक़या सामने आया, जिसने स्थानीय लोगों की भावनाओं को आहत कर दिया।
झंडा किसी के भरोसे छोड़ दिया गया
स्थानीय लोगों के अनुसार, बैंक प्रबंधन ने 15 अगस्त की सुबह झंडा तोलन (फहराने) की रस्म तो निभाई, लेकिन दिन के अंत में तिरंगा उतराना भूल गए। इससे यह आभास हुआ कि बैंक कर्मियों ने तिरंगे को किसी के भरोसे छोड़ दिया और अपने घर लौट गए।
लोगों का कहना है कि बैंक का रवैया केवल लापरवाही नहीं बल्कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है।
कानूनी पहलू – IPC और ध्वज संहिता का उल्लंघन
भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय ध्वज संहिता के तहत तिरंगे का सम्मान करना हर नागरिक और संस्था का कर्तव्य है।
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ध्वज संहिता 2002 के अनुसार,
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सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही तिरंगा फहराया जा सकता है।
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झंडे को दिन के अंत में सम्मानपूर्वक उतारकर सुरक्षित रखना आवश्यक है।
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भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं:
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धारा 2 और 3 के तहत राष्ट्रीय ध्वज का अपमान दंडनीय अपराध माना गया है।
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दोषी पाए जाने पर जुर्माना और कारावास तक का प्रावधान है।
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इसके बावजूद, अब तक बैंक कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
स्थानीय लोगों का गुस्सा
घटना के बाद महनार के लोगों में काफी नाराज़गी देखने को मिली।
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लोगों का कहना था कि यह हर साल की आदत बन चुकी है।
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बैंक कर्मी स्वतंत्रता दिवस पर औपचारिकता निभाकर चले जाते हैं।
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जब शाम को झंडा उतारने का सवाल उठा तो कोई भी कर्मचारी सामने नहीं आया।
कुछ लोगों का कहना था कि बैंक के कर्मचारी पहले से ही स्थानीय जनता से ठीक ढंग से बातचीत नहीं करते।
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कैशियर और स्टाफ ग्राहकों से रूखा व्यवहार करते हैं।
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आम लोगों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
इस वजह से यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है।
प्रशासन और बैंक की चुप्पी
अब तक इस मामले पर न तो बैंक प्रबंधन ने कोई औपचारिक स्पष्टीकरण दिया है और न ही प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई हुई है।
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स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि अधिकारियों ने इसे साधारण भूल मानकर नज़र अंदाज़ कर दिया।
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लेकिन लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब साधारण नागरिक से तिरंगे के अपमान पर सख्ती बरती जाती है, तो सरकारी बैंक पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
लोगों की आवाज़ – “जिम्मेदार कौन?”
ग्रामीणों का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस का पर्व गर्व और आस्था से जुड़ा है। ऐसे में तिरंगे का अपमान किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।
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“बैंक भरोसा नहीं छोड़ता, लेकिन तिरंगा छोड़ दिया गया।” – स्थानीय लोगों की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
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लोग कह रहे हैं कि जब बैंक अपने कर्मचारियों को राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता तो आम जनता को क्या संदेश जाएगा?
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला सीधे तौर पर भारतीय ध्वज संहिता का उल्लंघन है।
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एडवोकेट मोहन सिंह का कहना है –
“यह केवल औपचारिकता या भूल नहीं है। तिरंगे का अपमान संविधान के खिलाफ है। प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेकर बैंक प्रबंधन पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
इतिहासकारों का मानना है कि आज़ादी के प्रतीक तिरंगे के प्रति उदासीनता केवल संवैधानिक अपराध ही नहीं बल्कि नैतिक अपराध भी है।
तिरंगे का महत्व – केवल कपड़ा नहीं, पहचान है
तिरंगा मात्र एक कपड़ा नहीं, बल्कि देश की आत्मा और पहचान है।
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इसका प्रत्येक रंग और प्रतीक एक संदेश देता है।
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केसरिया – साहस और बलिदान।
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सफेद – शांति और सत्य।
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हरा – समृद्धि और विकास।
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अशोक चक्र – न्याय और प्रगति का चक्र।
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जब कोई संस्था या व्यक्ति तिरंगे की गरिमा का पालन नहीं करता, तो यह करोड़ों भारतीयों की भावनाओं को चोट पहुंचाता है।
कार्रवाई की मांग
स्थानीय संगठनों और युवाओं ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताते हुए मांग की है कि:
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बैंक प्रबंधन इस घटना पर सार्वजनिक माफी मांगे।
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संबंधित कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
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प्रशासन तिरंगे के अपमान के तहत कानूनी प्रावधान लागू करे।
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भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी व्यवस्था बनाई जाए।
समाज में संदेश
यह घटना सिर्फ महनार या पंजाब नेशनल बैंक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम स्वतंत्रता दिवस को केवल औपचारिकता मानकर निभा रहे हैं?
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तिरंगे का अपमान केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का भी अपमान है।
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जिम्मेदार संस्थाओं को इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर दृष्टांत पेश करना होगा।
महनार का यह मामला भले ही एक छोटी सी लापरवाही लगे, लेकिन इसका संदेश बहुत बड़ा है।
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तिरंगे का सम्मान केवल नागरिकों का ही नहीं, बल्कि हर संस्था और अधिकारी का संवैधानिक दायित्व है।
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बैंक जैसे प्रतिष्ठान अगर इसमें चूक करेंगे, तो आम जनता में गलत संदेश जाएगा।
इसलिए ज़रूरी है कि प्रशासन तुरंत संज्ञान लेकर कार्रवाई करे और समाज को यह संदेश दे कि भारत का तिरंगा किसी के भरोसे नहीं छोड़ा जाएगा।
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Write articles by RUPESH KUMAR SINGH DIRECTOR SGNEWS OFFICIAL

