सांपों का रक्षक बना शिकार: वैशाली के स्नेक सेवर जयप्रकाश यादव की कोबरा के डसने से दर्दनाक मौत, लोग बनाते रहे वीडियो
✍ SG NEWS | रिपोर्टर: रूपेश कुमार सिंह | वैशाली, बिहार | दिनांक: 07 जुलाई 2025
🐍सांपों के संरक्षक जयप्रकाश यादव की दर्दनाक मौत से इलाके में शोक की लहर
बिहार के वैशाली जिले में एक दुखद और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। राजापाकर प्रखंड निवासी और 20 वर्षों से सांपों के रक्षक के रूप में विख्यात जयप्रकाश यादव की कोबरा सांप के डसने से मौत हो गई। वे बिदुपुर प्रखंड क्षेत्र के चकसिकंदर गांव में एक चावल गोदाम से कोबरा सांप को रेस्क्यू कर रहे थे, तभी हादसा हुआ।
जयप्रकाश यादव को सांपों का मसीहा, प्राकृतिक योद्धा, और स्नेक सेवर के नाम से जाना जाता था। उनकी मौत ने न सिर्फ वैशाली, बल्कि पूरे बिहार में वन्य जीव प्रेमियों को गहरा आघात पहुंचाया है।
📍 कोबरा रेस्क्यू के दौरान हुई घटना, लोग बनाते रहे वीडियो
रविवार दोपहर की यह घटना उस समय हुई जब चकसिकंदर गांव में पैक्स अध्यक्ष राजन कुमार साह के चावल गोदाम में एक जहरीला और विशाल कोबरा घुस आया। स्थानीय लोगों ने तुरंत जयप्रकाश यादव को बुलाया, जो इससे पहले भी हजारों बार सांपों को सुरक्षित रेस्क्यू कर चुके थे।
जैसे ही उन्होंने सांप को पकड़ने का प्रयास किया, कोबरा ने उनके हाथ पर डस लिया। ज़हर तेजी से उनके शरीर में फैलने लगा, और वे तड़पने लगे। लेकिन अफसोस की बात यह रही कि मौके पर मौजूद लोगों ने मदद करने के बजाय वीडियो बनाना ज्यादा जरूरी समझा।
कोई भी व्यक्ति उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कोशिश नहीं करता दिखा। लोग तमाशबीन बने रहे और जयप्रकाश तड़प-तड़प कर वहीं दम तोड़ दिए।
💔 20 वर्षों की सेवा, हजारों सांपों को दिया जीवन
जयप्रकाश यादव ने अपने जीवन के दो दशक वन्य जीव संरक्षण को समर्पित किए। उन्होंने कई प्रजातियों के सांपों का रेस्क्यू कर उन्हें जंगलों में सुरक्षित छोड़ा।
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वे कोबरा, करैत, अजगर, घोड़ा पछाड़ जैसे खतरनाक सांपों से निडर होकर आम लोगों को बचाते थे।
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नेवला-सांप की लड़ाई के दौरान घायल हुए सर्पों का वे इलाज भी करते थे, और फिर उन्हें प्राकृतिक आवास में छोड़ते थे।
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बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के बीच उनके साहस और सेवा की कहानियां चर्चित थीं।
🧵 सांपों से नहीं, सिस्टम से हारे जयप्रकाश यादव
जयप्रकाश यादव की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
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रेस्क्यू करने वाले स्नेक सेवरों के लिए कोई सुरक्षा गियर या एंटी-वेनम प्रोटोकॉल क्यों नहीं होता?
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रेस्क्यू के दौरान मेडिकल टीम या एम्बुलेंस की व्यवस्था क्यों नहीं होती?
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जब घटनास्थल पर लोग मौजूद थे, तो कोई उन्हें समय रहते अस्पताल क्यों नहीं पहुंचा सका?
उनकी मौत ने हमारे समाज की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया। एक तरफ वे जान बचाने मैदान में थे, दूसरी तरफ लोग वीडियो शूट कर रहे थे।
👥 स्थानीय लोग और प्रशासन शोकाकुल, सोशल मीडिया पर उमड़ा आक्रोश
घटना के बाद राजापाकर और बिदुपुर क्षेत्र में शोक की लहर है। जयप्रकाश यादव के योगदान को याद करते हुए सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी है।
कई यूजर्स ने लिखा:
“उन्होंने हजारों जानवरों की जान बचाई, लेकिन उनकी जान बचाने वाला कोई नहीं था। क्या यही इंसानियत है?”
स्थानीय प्रशासन से मांग की जा रही है कि:
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जयप्रकाश यादव को मरणोपरांत ‘प्राकृतिक सेवा सम्मान’ दिया जाए।
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उनके परिवार को सरकारी सहायता मिले।
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रेस्क्यू कर्मियों के लिए प्रोटोकॉल और आपातकालीन सुविधाएं अनिवार्य की जाएं।
🧪 सांप रेस्क्यू करने वालों के लिए नीतिगत बदलाव की ज़रूरत
इस घटना ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि:
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स्नेक रेस्क्यू वॉलंटियर्स के लिए ट्रेनिंग, किट, एंटी-वेनम, और इंश्योरेंस जैसे आवश्यक संसाधनों का न होना एक गंभीर चूक है।
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प्रशासन को चाहिए कि प्राकृतिक योद्धाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक नीति बनाए।
🕊️ जयप्रकाश यादव – एक प्रेरणा, एक सीख
जयप्रकाश यादव की मौत एक व्यक्तिगत क्षति से अधिक एक सामाजिक चेतावनी है। उन्होंने हमें सिखाया कि प्रकृति से प्रेम करना, जीवों की रक्षा करना, और निस्वार्थ सेवा करना क्या होता है।
उनकी मौत से पहले की उनकी ज़िंदगी हजारों को जीवन देने की कहानी है – एक सच्चे ‘स्नेक सेवर’ की जो सांपों का मित्र और इंसानियत का प्रहरी था।
📌 SG NEWS श्रद्धांजलि
🕯️ "आपकी सेवा, साहस और समर्पण को सलाम, जयप्रकाश यादव जी।"
📍 स्थान: राजापाकर, वैशाली | दिनांक: 07 जुलाई 2025
🖊️ रिपोर्ट: रूपेश कुमार सिंह, SG News, वैशाली


